मुंबईः नवनीत और रवि राणा की जमानत रद्द करने से कोर्ट का इनकार, कहा- सिर्फ शर्त का उल्लंघन आधार नहीं
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सांसद नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा को मुंबई पुलिस ने हनुमान चालीसा विवाद में सशर्त जमानत दी थी. लेकिन पुलिस ने बाद में कहा कि राणा दंपत्ति ने शर्त का उल्लंघन किया है. लिहाजा उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया जाए. इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि शर्त का उल्लंघन अगर केस को प्रभावित नहीं करता तो यह जमानत को रद्द करने का आधार नहीं हो सकता. इस पर काफी विचार किया जाना चाहिए.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अमरावती से सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा की जमानत रद्द करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि जमानत सिर्फ विशेष परिस्थितियों में रद्द की जा सकती है, साथ ही कहा कि जमानत रद्द करने पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए. विशेष न्यायाधीश राहुल रोकड़े ने सुनवाई करते हुए मुंबई पुलिस की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें नवनीत राणा और उनके पति रवि के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने की मांग की गई थी.
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश राहुल रोकड़े ने कहा कि जब तक जमानत की शर्त का उल्लंघन केस को प्रभावित नहीं करता, तब तक इसे जमानत रद्द करने के लिए पर्याप्त नहीं माना जा सकता. इसलिए मेरे विचार में प्रतिवादियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करने के लिए यह एक उपयुक्त मामला नहीं है.
दरअसल, नवनीत और रवि राणा को मुंबई पुलिस ने हनुमान चालीसा विवाद में जमानत दे दी थी. दोनों ने महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निजी आवास के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने का ऐलान किया था. इसके बाद भारी हंगामा भी हुआ था. मुंबई पुलिस ने नवनीत पर देशद्रोह के आरोप के अलावा कानून-व्यवस्था बाधित करने के आरोप में विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए थे. राणा दंपत्ति को सशर्त जमानत दी गई थी. इसमें कहा गया था कि नवनीत और रवि जेल से बाहर आने के बाद हनुमान चालीस के मुद्दे पर कोई बात नहीं करेंगे. लेकिन बाद में मुंबई पुलिस ने दावा किया कि दोनों ने इस मामले में खूब बात की.
न्यायाधीश रोकड़े ने कहा कि हनुमान चालीसा मुद्दे पर बोलने के लिए मुंबई पुलिस ने दोनों के खिलाफ कोई अन्य केस दर्ज नहीं किया था. उन्होंने कहा कि ये ध्यान दिया जाना चाहिए कि शर्त के उल्लंघन के आधार पर जमानत रद्द करने के लिए अदालत को यह विचार करना होगा कि क्या यह उल्लंघन न्याय प्रशासन के साथ हस्तक्षेप करने का प्रयास है.
अदालत ने यह भी कहा कि यह देखना होगा कि क्या यह उस मामले की जांच को प्रभावित करता है, जिसमें आरोपी शामिल हैं. अभियोजन पक्ष यह नहीं कह सकता कि उपरोक्त बयानों के कारण जांच में बाधा आ रही है. इस बात को दर्शाने के लिए कोई सामग्री रिकॉर्ड में नहीं रखी गई है कि शर्त के उल्लंघन के कारण ये मामला प्रभावित होगा.
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