मंडल-कमंडल और ‘राम-राज’... 2024 के लोकसभा चुनाव में किसका दांव आएगा काम
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लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी के कमंडल के जवाब में INDIA गठबंधन के नेता नीतीश कुमार ने आरक्षण का कार्ड खेल दिया है. खास बात ये रही कि किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया, बीजेपी ने भी नहीं.
आरक्षण के लिए मंडल कमीशन की सिफारिशों के बाद सत्ता का दूसरा रास्ता भगवान राम के नाम के सहारे बैतरणी पार करने का है. यानी कमंडल के सहारे वोटर्स को जोड़ने का. बीजेपी के कमंडल के जवाब में 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले INDIA गठबंधन के साथी नीतीश कुमार ने आरक्षण का कार्ड खेल दिया है. जी हां, बिहार में आरक्षण संशोधन बिल पास कर दिया गया.
बिहार में अब 75% आरक्षण लागू होगा. खास बात ये रही कि किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया, बीजेपी ने भी नहीं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जरूरत पड़ी तो आरक्षण का दायरा और बढ़ाएंगे. ऐसे में देखना यह है कि आम चुनाव में 'नीति के राज' या 'आरक्षण की नीति' में से कौन सी रणनीति काम आएगी. मगर, इसके पहले यह भी बता दें कि बिहार विधानसभा में सुशासन बाबू अपना आपा दूसरी बार खो बैठे. उन्होंने जीतन राम मांझी के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया, जिसकी उनसे उम्मीद नहीं थी.
विवादों की वजह से नीतीश कुमार के विरोधी, भले ही उनकी दिमागी हालत ठीक नहीं बता रहे हों, लेकिन मोदी के खिलाफ INDIA गठबंधन बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले नीतीश का एक सच ये भी है, कि उन्होंने मंडल बनाम कमंडल की राजनीति को, आरक्षण से धार देने की फॉर्मूला निकाला है. बिहार में जातीगत जनगणना करवाकर आरक्षण संशोधन विधेयक पास कराया है.
2024 के लोकसभा चुनाव में INDIA गठबंधन वाले ओबीसी आरक्षण की तगड़ी मांग कर रहे हैं. राहुल गांधी हर रैली में, ओबीसी आरक्षण की बात करते हैं. तो क्या, नीतीश कुमार सारा दिमाग 2024 के लिए लगा रहे हैं और आरक्षण के आंकड़े बैठाकर मोदी को हराने का प्लान बना रहे हैं?
राम पर फोकस हुई राजनीति
मंडल की राजनीति आपने देखी, अब आते हैं कमंडल की राजनीति पर, जी हां, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, इस समय पूरी राजनीति राम पर फोकस हो गई है. अयोध्या में अगले साल यानी 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा है.
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