
भारत में बच्चों पर सशस्त्र संघर्ष का प्रभाव नहीं, UNSG ने रिपोर्ट से हटाया नाम
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संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर अपनी 2023 की रिपोर्ट में कहा, ''बच्चों की बेहतर सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को देखते हुए, भारत का नाम 2023 की रिपोर्ट से हटा दिया गया है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बच्चों पर सशस्त्र संघर्ष के प्रभाव को लेकर अपनी सालाना रिपोर्ट से भारत का नाम हटा दिया है. गुटेरेस ने लिस्ट से भारत का नाम हटाने के पीछे बच्चों की बेहतर सुरक्षा के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का हवाला दिया है.
UN महासचिव की 'हथियारबंद संघर्ष का बच्चों पर प्रभाव' रिपोर्ट में 2010 से भारत का नाम शामिल किया जा रहा है. यूएन की इस रिपोर्ट में सशस्त्र समूहों में लड़कों की भर्ती और उनके इस्तेमाल के लिए बुर्किना फासो, कैमरून, लेक चाड बेसिन, नाइजीरिया, पाकिस्तान और फिलीपींस का नाम भी शामिल है. भारत का नाम शामिल करते हुए तब यूएन महासचिव की ओर से जम्मू और कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा आतंकियों के साथ कथित संबंध के लिए या राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर लड़कों को हिरासत में लेने जैसी घटनाओं का जिक्र किया गया था.
पिछले साल नाम हटाने के दिए थे संकेत
UN महासचिव गुटेरेस ने पिछले साल की रिपोर्ट में ही इस लिस्ट से भारत का नाम हटाने के संकेत दिए थे. उन्होंने कहा था कि वे अपने विशेष प्रतिनिधि के साथ भारत सरकार की भागीदारी का स्वागत करते हैं और भविष्य में भारत का नाम रिपोर्ट से हटाया जा सकता है.
क्या कहा UN ने अपनी रिपोर्ट में? संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर अपनी 2023 की रिपोर्ट में कहा, ''बच्चों की बेहतर सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को देखते हुए, भारत का नाम 2023 की रिपोर्ट से हटा दिया गया है. गुटेरेस ने बताया, संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि ने जुलाई 2022 में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन क्षेत्रों की पहचान की थी, जहां काम किया जाना था. इसके लिए उन्होंने भारत सरकार के साथ जम्मू कश्मीर में बीते साल नवंबर में वर्कशॉप भी की थी.
गुटेरेस ने अपनी रिपोर्ट में कहा, भारत ने विशेष प्रतिनिधि के सुझाव पर कई कदम उठाए हैं. इनमें बच्चों की सुरक्षा के लिए सुरक्षाबलों को ट्रेनिंग देना, बच्चों पर बल का प्रयोग न करना, पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक और बच्चों को हिरासत में न लेना या अगर लिया जाए तो कम समय तक हिरासत में रखा जाए, जैसे कदम शामिल हैं. गुटेरेस ने अपनी रिपोर्ट में हिरासत में सभी प्रकार के दुर्व्यवहार को रोकने के लिए उठाए गए कदम, किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम और यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा अधिनियम का भी जिक्र किया.

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