'भारत पर नेपाली नेता कुछ भी बोलने से बाज आएं', किसने दी चेतावनी?
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भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद का मुद्दा लंबे समय से चलता आ रहा है. हाल ही में जब नेपाली पीएम भारत आए थे तब उन्होंने सीमा विवाद का मुद्दा सुलझाने के तरीकों पर पीएम मोदी से बात की थी. उन्होंने विवाद सुलझाने के लिए जमीन अदला-बदली की बात भी कही थी.
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल जब हाल ही में भारत आए थे तब उन्होंने कहा था कि उनका देश भारत से बांग्लादेश तक जाने का सीधा रास्ता चाहता है. नेपाली पीएम का मानना है कि भारत के साथ कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा के विवाद को जमीन की अदला-बदली के जरिए सुलझाया जा सकता है. लेकिन नेपाल-भारत संबंधों के अंतरराष्ट्रीय कानूनी मामलों के विशेषज्ञ प्रोफेसर सूर्य प्रसाद सुबेदी का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक, लैंडलॉक देश नेपाल को भारत के जरिए बांग्लादेश तक पहुंच बिना जमीन की अदला-बदली के ही मिलनी चाहिए.
उनका कहना है कि नेपाल के नेताओं को संवेदनशील सीमा विवाद के मुद्दे पर ऐसे बयान देने से बचना चाहिए.
ब्रिटेन के लीड्स विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय कानून पढ़ाने वाले प्रोफेसर सुबेदी ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा है कि क्षणिक राजनीतिक लाभ के लिए सीमा विवादों पर नेपाली नेताओं की टिप्पणी की परंपरा को खत्म करना जरूरी है.
उन्होंने नेपाली नेताओं से आग्रह किया है कि वो इस तरह के बयान देने के बजाए इस विवाद से जुड़ी विदेश मंत्रालय की रिपोर्टों को देखें, ईपीजी ( Eminent Persons Group) की रिपोर्ट को पढ़ें और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का बारीकी से अध्ययन करें. भारत-नेपाल के बीच सीमा विवाद पर ईपीजी रिपोर्ट को भारत और नेपाल के प्रबुद्ध लोगों ने मिलकर तैयार किया था. प्रोफेसर का कहना है कि इस तरह के गहन अध्ययन से नेपाली नेताओं को व्यापक शोध और विश्लेषण पर आधारित अपनी एक स्थायी कूटनीति बनाने में आसानी होगी.
बांग्लादेश तक सीधे पहुंच चाहता है नेपाल
नेपाली पीएम दहल ने अपनी भारत यात्रा के दौरान कहा था कि सीमा विवाद के मुद्दों को सुलझाने का एक तरीका जमीन की अदला-बदली हो सकता है. उनके इस बयान से यह संकेत मिलता है कि वो विवादित जमीनों की अदला-बदली कर बांग्लादेश तक जाने का सीधा रास्ता चाहते हैं.
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