
'भारत का परमाणु कार्यक्रम ऊर्जा जरूरतों के लिए, 2047 तक सौ गीगावाट...', सरकार ने राज्यसभा में दी जानकारी
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सरकार ने एक सवाल के जवाब में राज्यसभा में यह जानकारी दी है कि भारत का परमाणु कार्यक्रम ऊर्जा जरूरतों के लिए है. राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने ये भी कहा कि हमारा लक्ष्य 2047 तक सौ गीगावाट परमाणु ऊर्जा के उत्पादन का है.
वर्ष 2047 तक सरकार ने सौ गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है. यह जानकारी गुरुवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान परमाणु ऊर्जा को लेकर एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने दी. पीएमओ में राज्यमंत्री डॉक्टर सिंह ने यह भी कहा कि सरकार अपने लक्ष्य तक पहुंची तो ये देश की कुल ऊर्जा जरूरतों का 10 फीसदी होगा. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत का न्यूक्लियर मिशन देश की ऊर्जा जरूरतों के लिए है.
डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि हमने न्यूक्लियर मिशन में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के माध्यम से स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स की मैन्यूफैक्चरिंग का रास्ता खोल दिया है. इससे बड़े पैमाने पर स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स की मैन्यूफैक्चरिंग होगी. उन्होंने कहा कि न्यूक्लियर मिशन में पांच स्वदेशी स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स तैयार करने की बात का भी उल्लेख है और इसके लिए धनराशि भी आवंटित की गई है. डॉक्टर सिंह ने यह भी जानकारी दी कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों के मानक के मुताबिक तीन सौ मेगावाट से कम के रिएक्टर को ही स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर माना जाता है.
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उन्होंने यूपी में रिएक्टर स्थापित करने की योजना से संबंधित सवाल के जवाब में कहा कि जैसे ही इसके विस्तार का कार्यक्रम शुरू होगा, निश्चय ही उसके अंतर्गत उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों को भी इसका लाभ मिलेगा. डॉक्टर सिंह ने यह भी कहा कि जहां तक यूपी की बात है, 220 मेगावाट की दो यूनिट्स यूपी में स्थापित करने की योजना अभी से ही काम कर रही है. महाराष्ट्र से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) के राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल ने जैतापुर परियोजना और कोंकण क्षेत्र को लेकर प्रश्न पूछा.
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प्रफुल्ल पटेल के सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा कि जैतापुर का प्रोजेक्ट छह यूनिट का है जिसकी कुल क्षमता 3680 मेगावाट है. हमने जो सौ गीगावाट का लक्ष्य रखा है, उसका 10 फीसदी अकेले जैतापुर से आएगा. उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट पिछली सरकारों में शुरू हुआ था और इतना विलंब हुआ कि कई क्लीयरेंस ही एक्सपायर हो गए. इस सरकार ने एक दिन भी विलंब नहीं किया है. डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने टाइमलाइन के साथ विस्तार से जानकारी दी और कहा कि 45 फीसदी तकनीकी मुद्दे सुलझा लिए गए हैं.

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