
भारतीय वैज्ञानिक का कमाल; समुद्री सीप की कोशिका से ‘सेल कल्चर’ के जरिए बना दिया मोती
Zee News
अंडमान और निकोबार के वैज्ञानिक ने ‘सेल कल्चर’ के जरिए शीशे के फ्लास्क में मोती उत्पादन की तकनीक को सफलतापूर्वक विकसित करके ‘टिश्यू कल्चर’ के रिसर्च में संभावनाओं के नए दरवाजे खोल दिए हैं.
नई दिल्लीः स्वतंत्र भारतीय वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सोनकर ने मोती उत्पादन में अपने नए रिसर्च से दुनिया को हैरत में डाल दिया है. अंडमान और निकोबार के वैज्ञानिक ने ‘सेल कल्चर’ के जरिए शीशे के फ्लास्क में मोती उत्पादन की तकनीक को सफलतापूर्वक विकसित करके ‘टिश्यू कल्चर’ के रिसर्च में संभावनाओं के नए दरवाजे खोल दिए हैं. इससे पहले सोनकर ने दुनिया का सबसे बड़ा काला हीरा बनाने और भगवान गणेश के आकार का हीरा विकसित कर बड़ी उपलब्धियां हासिल की थीं. सोनकर का कहना है कि उनका यह नया शोध वैश्विक मोती कल्चर उद्योग में बदलाव ला सकता है. उनके इस शोध की प्रक्रिया और नतीजे अंतरराष्ट्रीय विज्ञान शोध पत्रिका- ‘‘एक्वाकल्चर यूरोप’ के ताजा अंक में प्रकाशित हुए है.
सर्जरी कर सीप से निकाला मोती बनाने वाला अंग वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सोनकर ने वर्ष-2020 की शुरुआत में अंडमान में वाके अपनी प्रयोगशाला से काले मोती बनाने वाले ‘पिंकटाडा मार्गेरेटिफेरा’ सीप में सर्जरी करके मोती बनाने के लिए जिम्मेदार अंग ‘मेंटल’ को उसके शरीर से अलग कर दिया. इसके बाद वह उस ‘मेंटल टिश्यू’ को फ्लास्क में विशेष जैविक वातावरण उत्पन्न करके अंडमान के समुद्र से लगभग 2,000 किलोमीटर दूर प्रयागराज में अपने ‘सेल बायोलॉजी’ प्रयोगशाला में ले आए. इसमें विशेष बात यह थी कि इस पूरी प्रक्रिया में करीब 72 घंटे का वक्त लगा जिस दौरान शरीर से अलग होने के बावजूद ‘मेंटल टिश्यू’ जिंदा और सेहतमंद था.

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