भारतीय छात्रों को चीन नहीं दे रहा एंट्री, कहा- कोरोना रोकने का और कोई ऑप्शन नहीं
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चीन में अलग अलग कॉलेजों में करीब 23,000 भारतीय छात्र पढ़ रहे हैं. इसके अलावा सैकड़ों व्यापारी, कर्मचारी और उनके परिवार पिछले साल भारत लौट आए थे, जो अब वापस नहीं जा पा रहे. पाबंदियों के चलते कई लोगों ने अपनी नौकरी गंवा दी.
भारतीय छात्रों ने हाल ही में नई दिल्ली में स्थित चीनी दूतावास के सामने प्रदर्शन किया. ये छात्र अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए चीन वापस जाना चाहते हैं. छात्रों की मांग है कि बीजिंग उन्हें आने की अनुमति दे ताकि वे अपनी पढ़ाई जारी रख सकें. उधर, चीन अभी भी कोरोना के डर के साये में है और भारतीय छात्रों को बीजिंग आने की अनुमति नहीं दे रहा है. अब भारतीय छात्रों द्वारा प्रदर्शन की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन ने कहा कि उनके पास कोरोना को रोकने के लिए यात्रा पर प्रतिबंध जैसे उपायों के अलावा विकल्प नहीं है.
जापान की प्रमुख कंपनी आइकॉम ने हाल ही में एक बयान जारी किया है. कंपनी ने कहा कि वाकी टॉक के सेट में जितने भी विस्फोट हुए हैं, उसने उस मॉडल को बनाना 10 साल पहले ही बंद कर दिया था. आइकॉम ने बताया कि आई सी वि 8021 हैंड हेल्त रेडियो सेट का उत्पादन और निर्यात 2004 से ऑक्टोबर 2024 तक किया गया था. इसके बाद उसे बंद कर दिया गया था और तब से इसे कंपनी के द्वारा शिप नहीं किया गया.
अमेरिका में बसा भारतीय समुदाय सबसे पढ़े-लिखे और ताकतवर इमिग्रेंट्स में शामिल रहा. ये देश की कुल आबादी का लगभग 1.5 फीसदी हैं लेकिन कारोबार से लेकर राजनीति में भी उसकी गहरी पैठ है. पिछले कुछ सालों में राष्ट्रपति चुनावों में भी भी इनके वोटों की अहमियत बढ़ी. जानिए, यूएस में भारतीय मूल के लोग का रुझान किस तरफ है.
इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने दुनिया को सोचने पर मजबूर कर दिया है. दरअसल लेबनान में पेजर के बाद वॉकी-टॉकी में ब्लास्ट हुए. पहले दिन 12 आतंकियों की मौत के बाद 14 और आतंकी मारे गए, इसको लेकर हिजबुल्लाह में दहशत है. लेबनान में दहशत है कि क्या घर के दूसरे इलेक्ट्रॉनिक सामानों में भी विस्फोट हो सकता है?