बेहमई कांड में 43 साल बाद आया फैसला, एक दोषी को उम्रकैद, फूलन देवी समेत 34 लोग थे आरोपी
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कानपुर देहात के बेहमई मामले में बुधवार को कानपुर देहात की एंटी डकैती कोर्ट ने सजा सुनाते हुए एक आरोपी को आजीवान करावास की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने एक आरोपी को बरी कर दिया है. मामले में वादी के साथ मुख्य आरोपी फूलन देवी सहित कई आरोपियों की मौत हो चुकी है. इस घटना में कुल 34 लोगो को आरोपी बनाया था.
उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के चर्चित बेहमई हत्याकांड मामले में 43 साल बाद फैसला आ गया है. इस मामले में एक आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है जबकि एक आरोपी को बरी कर दिया गया है.
कानपुर देहात के बेहमई मामले में बुधवार को कानपुर देहात की एंटी डकैती कोर्ट ने सजा सुनाते हुए एक आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने एक आरोपी को बरी कर दिया है. मामले में वादी के साथ मुख्य आरोपी फूलन देवी सहित कई आरोपियों की मौत हो चुकी है. इस घटना में कुल 34 लोगो को आरोपी बनाया था.
अदालत ने जेल में बंद दो आरोपियों में एक आरोपी श्याम बाबू को बेहमई कांड में दोषी मानते हुए एक आरोपी विश्वनाथ को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.
क्या था बेहमई कांड?
कानपुर देहात के राजपुर थाना थाना क्षेत्र के यमुना किनारे बसे बेहमई गांव में 14 फरवरी 1981 को डकैत रही फूलन देवी ने लाइन से खड़ा करके 20 लोगो की गोली मारकर हत्या कर दी थी. मारने वाले सभी ठाकुर थे. इस घटना के बाद देश व विदेश में इस घटना की चर्चा थी.
कई विदेशी मीडिया ने भी जिले में डेरा डाला लिया था और वही जब सारा गांव ज़िला इस घटना से कांप रहा था तो वही गांव के ही रहने वाले राजाराम मुकदमा लिखावाने के लिए आगे आए थे. उन्होंने फूलन देवी और मुस्तकीम समेत 14 को नामजद कराते हुए 36 डकैतों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था लेकिन पूरे देश को दहला देने वाला बेहमई कांड लचर पैरवी और कानूनी दांव पेंच में ऐसा उलझा कि 42 सालों में भी पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाया था.
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