बिहार में अपना CM चाहती है BJP! नीतीश कुमार कैसे करेंगे सियासी तूफान का सामना?
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जदयू का कहना है कि भाजपा पार्टी को तोड़ने की कोशिश कर रही है, जैसा कि उसने महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ किया था. नीतीश कुमार के कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर बात करने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या वह फिर से विपक्ष के साथ हाथ मिलाने के लिए भाजपा का साथ छोड़ देंगे?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने बीजेपी के साथ गठबंधन (Alliance with BJP) में दरार की खबरों के बीच मंगलवार को अपनी पार्टी जनता दल-यूनाइटेड (JDU) के सभी विधायकों और सांसदों की एक बैठक बुलाई है. जदयू का कहना है कि भाजपा (BJP) पार्टी को तोड़ने की कोशिश कर रही है, जैसा कि उसने महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ किया था. वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हाल ही में दिए गए बयान के विपरीत जद (यू) अब कह रही है कि अगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भाजपा के साथ उसका गठबंधन अभी पक्का नहीं है. जिसे गठबंधन में दरार के रूप में देखा जा रहा है.
उधर, नीतीश कुमार के कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर बात करने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या वह फिर से विपक्ष (राजद, कांग्रेस और वामपंथी) के साथ हाथ मिलाने के लिए भाजपा छोड़ देंगे?
देखा जाए तो बिहार में बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए विपक्ष जदयू के साथ आ सकता है. जून में शिवसेना के एकनाथ शिंदे द्वारा सत्ता परिवर्तन से पहले तक 2019 में महाराष्ट्र में भी यही देखा गया था. फिलहाल बिहार की सबसे बड़ी पार्टी राजद का कहना है कि ये राज्य तय करेगा कि उसके लिए सबसे अच्छा क्या है. हालांकि इस पर मंगलवार को स्थिति तब और भी स्पष्ट हो सकेगी, जब विपक्षी खेमे भी अपनी बैठकें करेंगे.
नाराज हैं मुख्यमंत्री?
नीतीश क्यों परेशान हैं?
बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन में जदयू के जूनियर पार्टनर होने के बावजूद भाजपा नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बना रही है. इसके पीछे जदयू और कुमार की अपनी लोकप्रियता के सहारे भाजपा के आधार का विस्तार करना है. जिससे आगे चलकर भाजपा बिहार में बहुमत हासिल कर अपना मुख्यमंत्री बना सके.
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