बिहार: ग्रामीण इलाकों में कोविड टीकाकरण की राह आसान नहीं है
The Wire
कोविड टीकाकरण को लेकर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच बहुत गहरी खाई है. बिहार के अररिया और पूर्णिया ज़िलों में विभिन्न अफ़वाहों और भ्रामक जानकारियों चलते ग्रामीण टीका नहीं लगवाना चाहते हैं. टीका न लगवाने की अन्य वजहें जागरूकता की कमी, शैक्षणिक-सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन के साथ सरकारी अनदेखी भी है.
अभी सुबह के नौ ही बजे हैं. लेकिन बिहार के दनसार ग्राम पंचायत की सड़कों पर बहुत कम लोग दिखते हैं. सड़क पर खेल रहे कुछ बच्चे बताते हैं कि अधिकांश लोग खेतों में गए हैं. पूर्णिया के जलालगढ़ प्रखंड स्थित इस मुसलमान बहुल पंचायत में 18 से अधिक उम्र के लोगों की संख्या करीब 7,000 है. इनमें मुसलमानों के साथ महादलित और आदिवासी समुदाय के लोगों की भी बड़ी संख्या है. इस वक्त हम दनसार के धनगामा गांव में है. यहां हमारी मुलाकात कुछ खेत मजदूरों से होती है. अधिकांश लोग खेतों में पहुंच चुके हैं और कुछ पहुंचने की तैयारी में हैं. करीब 40 साल के खेत-मजदूर और बंटाई पर खेती करने वाले मुहम्मद महफूज भी इनमें से एक हैं. ‘अब तक गांवों में कोई भी भैक्सिन (वैक्सीन) नहीं लिया है. लोग सब बोलता है कि वैक्सीन लेने पर आदमी पहले बीमार पड़ता है, फिर मर जाता है. अगर हम वैक्सीन लिए और एक-दो दिन में मर गए तो हमरा खेत कौन देखेगा!’ महफूज हमसे कहते हैं. उनके परिवार में कुल सात सदस्य हैं और कमाने वाले में वे अकेले हैं. वैक्सीन पर भरोसे को लेकर वे आगे कहते हैं, ‘किसी की भी बातों पर विश्वास नहीं कर लेंगे. कोई बड़ा डॉक्टर आकर इसके बारे में बताएगा तो ही मानेंगे. या फिर जानकार आदमी समझाएगा या आलिम-मौलवी वगैरह बोलेगा तो भैक्सिन लगवाएंगे.’More Related News