
पाकिस्तान में महंगाई की मार, मुफ्त आटे के लिए टूट रही लोगों की भीड़, भगदड़ में अब तक 4 लोगों की मौत
AajTak
पड़ोसी देश पाकिस्तान गेहूं की भारी कमी के कारण गंभीर खाद्य संकट से जूझ रहा है. आलम यह है कि पाकिस्तान में आटा 155 रुपये किलो तक बिक रहा है. इस महंगाई में पाकिस्तान सरकार सब्सिडी के तहत मुफ्त में आटा बांट रही है. लेकिन सब्सिडी वाले आटे के लिए भीड़ इतनी बढ़ रही है कि भगदड़ की वजह से लोगों की मौत तक हो रही है.
आर्थिक तंगहाली झेल रहे पाकिस्तान के लिए मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पाकिस्तान में गेहूं की कमी से भारी किल्लत मची हुई है. गेहूं की भारी कमी के कारण पाकिस्तान में आटे की कीमतें आसमान छू रही हैं. गंभीर आर्थिक संकट के कारण पहले से ही लोगों की जेब खाली हैं. इस महंगाई में सरकार लोगों तक आटे मुहैया कराने के लिए सब्सिडी के तहत मुफ्त में आटा बांट रही है. लेकिन सब्सिडी वाले आटे के लिए भीड़ इतनी ज्यादा है कि भगदड़ की वजह से लोगों की मौत हो रही है.
समाचार एजेंसी मुताबिक, पाकिस्तान के मुजफ्फरगढ़ प्रांत में सरकार की ओर से मुफ्त में बंट रहे आटे को लेने आई एक महिला की भगदड़ में कुचलकर मौत हो गई. महिला की उम्र 60 साल बताई जा रही है. इसके बाद गुस्साए लोगों ने जमकर बवाल काटा. इससे पहले सोमवार को भी मुजफ्फरगढ़ में आटा लेने आई एक 50 वर्षीय महिला की भगदड़ के दौरान मौत हो गई थी.
पाकिस्तान के सरकारी सरकारी अधिकारियों ने शनिवार को बताया है कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पिछले कुछ दिनों में सरकारी वितरण केंद्रों से मुफ्त आटा लेने की कोशिश के दौरान कम से कम चार बुजुर्गों की मौत हो गई है. अधिकारी ने बताया कि आसमान छूती महंगाई से पार पाने के लिए पंजाब प्रांत में गरीबों के लिए मुफ्त आटा योजना की शुरुआत की गई थी.
पेशावर में आटे की कमी के बाद महिलाओं ने किया रोड जाम
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के पेशावर में सब्सिडी वाला आटा न मिलने के बाद महिलाओं ने रोड जाम कर दिया. इसके अलावा, आंदोलनकारियों ने आस-पास के रेस्टोरेंट पर भी हमला बोल दिया. आंदोलनकारी देश में आटे की कमी के लिए रेस्टोरेंट को जिम्मेदार ठहराते हुए कह रहे हैं कि आम नागरिक आटा नहीं खरीद पा रहा है और रेस्टोरेंट वाले लजीज व्यंजन परोस रहे हैं.
पाकिस्तान में आटे की किल्लत

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.







