पाकिस्तान में अब पूरा होगा 1947 से रुका हुआ ये ऐतिहासिक काम
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पाकिस्तान के सियालकोट जिले की दस्का तहसील स्थित गुरुद्वारे का निर्माण कार्य 1944 में शुरू हुआ था लेकिन 1947 में बंटवारे की वजह से यह पूरा नहीं हो पाया. अब खबर है कि इसका निर्माण कार्य पूरा करा रहा है. ऐतिहासिक गुरुद्वारे नानकसर के रेनोवेशन और रेस्टोरेशन का काम शुरू कर दिया है. यह गुरुद्वारा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की दस्का के फतेह भिंडर गांव में है.
भारत-पाकिस्तान बंटवारे का दंश लाखों लोगों ने झेला लेकिन इसकी मार पाकिस्तान के एक गुरुद्वारे पर भी पड़ी. आज से लगभग आठ दशक पहले पाकिस्तान के सियालकोट में एक गुरुद्वारे का निर्माण कार्य शुरू हुआ था लेकिन 1947 में भारत, पाकिस्तान विभाजन की वजह से इस गुरुद्वारे का निर्माण कार्य कभी पूरा नहीं हो पाया. कहा जाता है कि सिखों के पहले गुरु नानक देव अपनी चौथी उदासी (भ्रमण) के दौरान इसी गुरुद्वारे में ठहरे थे.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 75 साल की बदहाली के बाद अब गुरुद्वारा नानकसर (Gurdwara Nanaksar) का निर्माण कार्य दोबारा शुरू किया जा रहा है.
पाकिस्तान के सियालकोट जिले की दस्का तहसील स्थित गुरुद्वारे का निर्माण कार्य 1944 में शुरू हुआ था लेकिन 1947 में बंटवारे की वजह से यह पूरा नहीं हो पाया. अब खबर है कि पाकिस्तान का Evacuee Trust Property Board (ETPB) इसका निर्माण कार्य पूरा करा रहा है.
ईटीपीबी के चेयरमैन हबीब उर रहमान का कहना है कि उन्होंने ऐतिहासिक गुरुद्वारे नानकसर के रेनोवेशन और रेस्टोरेशन का काम शुरू कर दिया है. यह गुरुद्वारा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की दस्का के फतेह भिंडर गांव में है.
हाल ही में इस गुरुद्वारे का दौरा कर चुके और इसके रेनोवेशन को लेकर उचित दिशानिर्देश दे चुके रहमान ने कहा, गुरुद्वारे के रिस्टोरेशन का काम सिख मर्यादा के अनुसार किया जा रहा है.
पाकिस्तान के इतिहासकार शाहिद शब्बीर बताते हैं कि गुरु नानक देव की चौथे उदासी पूरा होने पर वह फतेह भिंडर गांव में ठहरे थे.