
पसमांदा पॉलिटिक्स से यूपी में अपने सबसे कमजोर दुर्ग को मजबूत करने में जुटी BJP
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उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है, जिसमें उसकी नजर सपा के कोर वोटबैंक मुस्लिम समुदाय पर है. बीजेपी मुस्लिम बहुल इलाके में अपनी जड़ें मजबूत करने के लिए पसमांदा मुस्लिमों को जोड़ने की कवायद कर रही है. सहारनपुर से लेकर रामपुर और बरेली तक में पसमांदा मुस्लिम सम्मेलन इन दिनों किए जा रहे हैं.
लोकसभा चुनाव में भले ही अभी डेढ़ साल का वक्त बाकी हो, लेकिन सियासी तानाबाना अभी से बुना जाने लगा है. सियासत में एक कहावत है कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है. दिल्ली के सिंहासन तक पहुंचने वाले रास्ते को बीजेपी इन दिनों दुरुस्त करने में जुटी है. ऐसे में विपक्ष के मजबूत वोटबैंक माने जाने वाले मुस्लिम समाज के बीच बीजेपी अपनी जगह बनाने की कवायद कर रही है, लेकिन उसकी नजर पसमांदा मुसलमानों पर है. यह संदेश देने की कोशिश हो रही है कि बीजेपी मुसलमान विरोधी नहीं है, बल्कि वह खुले दिल से इस समुदाय को गले लगाने के लिए तैयार है.
बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटें जीतने का टारगेट लेकर चल रही है. बीजेपी इस बात को समझती है कि बिना मुस्लिमों को साथ लिए यह लक्ष्य हासिल नहीं हो सकता है. बीजेपी इन दिनों सूबे में पसमांदा मुसलमानों को जोड़ने के लिए लगातार अभियान चला रही है. यह सम्मलेन उन इलाकों में किए जा रहे हैं, जहां पर पार्टी सबसे कमजोर स्थिति में है. ऐसे में सहारनपुर से लेकर रामपुर और बरेली तक पसमांदा मुस्लिम सम्मेलन किए गए हैं, जिनमें बीजेपी के बड़े नेताओं ने शिरकत किए हैं.
इन सीटों पर बीजेपी का फोकस दरअसल, उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा क्षेत्रों में एक लाख 70 हजार से ज्यादा बूथ हैं और बीजेपी ने अपने संगठनात्मक सर्वे में पाया कि 22 हजार बूथ पर उसकी स्थिति कमजोर है. यह बूथ खासतौर से मुस्लिम, यादव और जाटव बहुल हैं. वहीं, 2022 के विधानसभा में सपा 111 और उसकी सहयोगी आरएलडी ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस नतीजे को लोकसभा सीटों में तब्दील करते हैं 25 सीटों पर सपा-आरएलडी को बढ़त थी.
2024 के मद्दनेजर बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में अपनी रणनीति में बदलाव किया है और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अपनी पकड़ को बनाने के लिए पीएम मोदी ने हैदराबाद की बैठक में मुस्लिम समाज में पिछड़े माने जाने वाले पसमांदा मुसलमान को पार्टी से जोड़ने का मंत्र दिया था. इसके बाद से ही दिल्ली बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रभारी और राष्ट्रवादी मुस्लिम पसमांदा के अध्यक्ष आतिफ रशीद पश्चिमी यूपी से लेकर रुहलेखंड तक मुस्लिम बहुल इलाकों में पसमांदा सम्मेलन कर रहे हैं.
मुस्लिमों में पसमांदा समुदाय की 85% हिस्सेदारी राष्ट्रवादी मुस्लिम पसमांदा महाज ने रविवार को बरेली में पसमांदा मुसलमानों को बीजेपी से जोड़ने का कार्यक्रम आयोजित किया था. इसमें उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह, मंत्री नरेंद्र कुमार कश्यप और मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने शिरकत की. धर्मपाल सिंह ने कहा कि पसमांदा मुस्लिम को सिर्फ वोटबैंक के तौर पर इस्तेमाल किया गया, लेकिन मोदी सरकार ने अपनी लाभकारी योजनाओं का फायदा जन-जन तक पहुंचाया. एक समय मुस्लिम समाज के लोग बीजेपी से खुद को दूर रखते थे, लेकिन अब पसमांदा मुस्लिम समाज के लोग पार्टी से जुड़ रहे हैं.
पसमांदा मुसलमानों को बीजेपी से जोड़ने का बीड़ा उठाने वाले आतिफ रशीद कहते हैं कि मुस्लिमों में पसमांदा समुदाय की 85 फीसदी हिस्सेदारी है, जिन्हें सपा, बसपा और कांग्रेस ने सिर्फ बीजेपी का डर दिखाकर वोट लिए हैं, लेकिन उनके विकास के लिए काम नहीं किए हैं. बीजेपी सरकार आने के बाद से बिना भेदभाव के विकास कार्य किए जा रहे हैं. मुस्लिम समुदाय की सोच बदली है और वो मुख्यधारा से जुड़ने के लिए बीजेपी और पीएम मोदी के प्रति अपना विश्वास भी जता रहे हैं. बरेली कार्यक्रम में पसमांदा मुसलमानों की उपस्थिति इसका जीता जागता सूबत है.

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