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निजी अस्पताल पर एक करोड़ का हर्जाना, डिलीवरी के बाद हो गई थी महिला की मौत
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प्रसव के बाद महिला की मौत मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने फैसला सुनाया है. आयोग ने दोषी पाए गए बेंगलुरु के निजी अस्पताल को एक करोड़ एक लाख रुपए हर्जाना अदा करने का आदेश दिया है. महिला की नाबालिग बेटी ने उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया था. आयोग ने अस्पताल प्रबंधन को नाबालिग बेटी को 90 लाख रुपए और याचिकाकर्ता बच्ची के नाना को 10 लाख रुपए मुआवजा और मुकदमा खर्च देने के आदेश दिए.
डिलीवरी के बाद महिला की मौत मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने बड़ा निर्णय सुनाया है. आयोग ने निजी अस्पताल की लापरवाही पाए जाने पर एक करोड़ रुपए का हर्जाना दिए जाने के आदेश दिए हैं. अस्पताल को 90 लाख रुपए महिला की बेटी को देना होंगे. जबकि 10 लाख रुपए महिला के पिता को दिए जाने के लिए कहा है. आयोग ने कहा है कि सर्जरी के जरिए बच्चा जन्म लेता है तो अस्पताल प्रबंधन आनन-फानन में जच्चा (मां) को उसकी इच्छा के खिलाफ डिस्चार्ज नहीं कर सकता है. मामला कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु का है.
आयोग ने इस बाबत दिए आदेश में कहा है कि अगर जच्चा को परेशानी है तो अस्पताल को कम से कम 96 घंटे तक उसकी और बच्चे की सेहत पर निगरानी रखनी होगी. अस्पताल ने उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) और अन्य परेशानी के बावजूद जच्चा की तीसरे दिन ही छुट्टी कर अस्पताल से घर भेज दिया. महिला खुद एक डॉक्टर थी. प्रसव के बाद चिकित्सीय लापरवाही की वजह से बाद में महिला डॉक्टर की मृत्यु हो गई.
'बेटी ने आयोग में लगाई थी याचिका'
उसकी नाबालिग बेटी ने उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया था. आयोग ने अस्पताल प्रबंधन को महिला की नाबालिग बेटी को 90 लाख रुपए और याचिकाकर्ता बच्ची के नाना को 10 लाख रुपए मुआवजा और मुकदमा खर्च और मानसिक प्रताड़ना को लेकर एक लाख रुपए अदा करने का आदेश दिया है. आयोग ने निजी अस्पताल के प्रबंधन को लापरवाही और मनमानी का दोषी पाया है.
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