निकाय चुनाव में CM योगी ने साधे ऐसे समीकरण, यूपी में बन गया BJP का ट्रिपल इंजन
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Nikay Chunav Result Today 2023: यूपी में बीजेपी की तीसरी सरकार बनती दिख रही है. नगर निकाय चुनाव के वोटों की काउंटिंग के रुझानों से फिलहाल यह साफ हो गया है कि बीजेपी ने मेयर की सभी 17 सीटों पर बढ़ात बना ली है. इनमें कई सीटों पर उसने कब्जा भी कर लिया है. वहीं नगर पालिका अध्यक्ष और नगर पंचायत अध्यक्ष की सीटों पर भी बीजेपी लीड लिए हुए है.
Up Nagar Nikay Chunav 2023 Result: उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव की मतगणना जारी है. अभी तक के नतीजों से एक बात साफ है कि बीजेपी नगर निगम की मेयर से लेकर नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष पद की सीटों पर जीत दर्ज करती नजर आ रही है. मेयर के चुनाव में सपा और कांग्रेस का तो खाता खुलता भी नजर नहीं आ रहा है जबकि बसपा जरूर बीजेपी को टक्कर देती हुई दिखी है. नगर पालिका और पंचायत में जरूर सपा को बसपा-कांग्रेस से ज्यादा सीटें मिलती दिख रही हैं, लेकिन निर्दलीय को पीछे नहीं छोड़ पाई है.
यूपी में नगर निकाय की कुल 760 सीटों पर चुनाव हुए हैं, जिनमें 17 नगर निगम, 199 नगर पालिका और 544 नगर पंचायत की सीटें हैं. इसके अलावा 13 हजार के करीब वार्ड सदस्य की सीटें है.
नगर निगम की 17 मेयर सीटों में से बीजेपी 16 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है जबकि एक सीट पर बसपा आगे चल रही है. नगर पालिका अध्यक्ष की 199 सीटों में से बीजेपी 88 सीटें और उसके बाद निर्दलीय दूसरे नंबर पर रहे हैं. इसी तरह नगर पंचायत की 544 अध्यक्ष पर की सीटों में 170 सीटों पर बीजेपी और उसके बाद 150 सीट पर निर्दलीय जीत दर्ज करती दिख रही है. बसपा, सपा और कांग्रेस के उम्मीदार निर्दलीय से पीछे दिख रहे हैं.
निकाय चुनाव में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा बीजेपी की दांव पर लगी थी, क्योंकि शहरी इलाके हमेशा से बीजेपी के गढ़ रहे हैं. पिछली बार बीजेपी मेयर चुनाव में बेहतर प्रदर्शन था, लेकिन नगर पालिका और नगर पंचायत में पिछड़ गई थी. इस बार के चुनाव में बीजेपी ने मेयर से लेकर नगर पालिका और पंचायत अध्यक्ष सीटों पर भी जीत का परचम फहराया है.
निकाय चुनाव में अहम भूमिका सवर्ण मतदाताओं का रहा. शहरी क्षेत्र में ब्राह्मण, वैश्य, कायस्थ, पंजाबी मतदाता निर्णायक भूमिका में है, जिसके चलते बीजेपी ने सवर्णों को मैदान में उतारने का दांव पूरी तरह सफल रहा. मेयर के लिए बीजेपी पांच ब्राह्मण, चार वैश्य प्रत्याशी उतारकर शहरी सीटों के समीकरण को पूरी तरह से अपने पक्ष में कर लिया. सवर्ण वोटर बीजेपी का कोर वोटर्स है, जिसके चलते पार्टी ने एकतरफा जीत हासिल की है.
शहरी इलाकों में बीजेपी का प्रदर्शन हमेशा से बेहतर रहा है. बीजेपी 2017 से पहले जब सत्ता से बाहर थी तब भी निकाय चुनाव में शानदार प्रदर्शन करती रही है. बीजेपी का राजनीतिक जनाधार शहरी इलाकों में हमेशा से रहा है, जिसके दम पर बीजेपी निकाय चुनाव में जीत दर्ज करती रही है. मौजूदा समय में बीजेपी सत्ता में रही है, जिसका सियासी फायदा भी उसे मिला है. पिछली बार 16 मेयर में 14 मेयर जीत दर्ज की थी और इस बार क्लीन स्वीप करती हुई दिख रही है.
नायडू पहली बार 1995 में मुख्यमंत्री बने और उसके बाद दो और कार्यकाल पूरे किए. मुख्यमंत्री के रूप में उनके पहले दो कार्यकाल संयुक्त आंध्र प्रदेश के नेतृत्व में थे, जो 1995 में शुरू हुए और 2004 में समाप्त हुए. तीसरा कार्यकाल राज्य के विभाजन के बाद आया. 2014 में नायडू विभाजित आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में उभरे और 2019 तक इस पद पर रहे. वे 2019 का चुनाव हार गए और 2024 तक विपक्ष के नेता बने रहे.
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