
नवाजुद्दीन सिद्दीकी खुद को मानते हैं 'बदसूरत', बोले 'आईना देखकर लगता है क्यों आ गए इंडस्ट्री में...'
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नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अब बताया है कि समाज में उन्हें, उनके रंग और चेहरे की वजह से भेदभाव का शिकार होना पड़ा. लेकिन फिल्म इंडस्ट्री के प्रति वो शुक्रगुजार हैं कि उन्हें इतना सम्मान दिया गया और इतने अलग-अलग किरदार ऑफर किए गए.
नवाजुद्दीन सिद्दीकी को देश के सबसे बेहतरीन एक्टर्स में गिना जाता है. नेशनल अवॉर्ड विनिंग एक्टर नवाजुद्दीन ने बड़े पर्दे पर एक से बढ़कर एक दमदार किरदार निभाए हैं, लेकिन उन्हें लगता है वो 'बदसूरत' हैं.
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अब बताया है कि समाज में उन्हें, उनके रंग और चेहरे की वजह से भेदभाव का शिकार होना पड़ा. लेकिन फिल्म इंडस्ट्री के प्रति वो शुक्रगुजार हैं कि उन्हें इतना सम्मान दिया गया और इतने अलग-अलग किरदार ऑफर किए गए. नवाजुद्दीन ने कहा कि उन्हें हमेशा कहा गया कि वो अट्रेक्टिव नहीं हैं और अब वो इस बात को खुद भी मानने लगे हैं.
'सबसे बुरा दिखने वाला एक्टर हूं मैं' न्यूज 18 के साथ एक इंटरव्यू में अपने साथ हुए भेदभाव भरे बर्ताव के बारे में बात करते हुए नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा, 'पता नहीं हमारी शक्लों से नफरत क्यों है कुछ लोगों को. क्यूंकि शक्ल ही ऐसी है- इतने बदसूरत हैं हम लोग! हमें भी यही लगता है जब अपने आप को देखते हैं आईने में. हम भी बोलते हैं अपने आप को 'क्यों आ गए फिल्म इंडस्ट्री में इतनी गंदी शक्ल लेकर?'
आगे बात करते हुए नवाजुद्दीन ने कहा, 'मैं सबसे बुरा दिखने वाला एक्टर हूं- फिजिकली- फिल्म इंडस्ट्री में. मैं तो ये मानता हूं. क्योंकि मैं शुरू से ये सब सुनता आ रहा हूं और अब मानने भी लगा हूं.'
'समाज में भेदभाव है, इंडस्ट्री में नहीं' हालांकि, नवाजुद्दीन ने इतने मौके देने के लिए बॉलीवुड को शुक्रिया भी कहा. वो बोले, 'फिल्म इंडस्ट्री से मुझे कोई शिकायत नहीं है. मैं सभी डायरेक्टर्स का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं जिन्होंने मुझे इतने तरह-तरह के किरदार दिए हैं. अगर आपके अंदर थोड़ा सा भी टैलेंट है तो इंडस्ट्री बहुत कुछ देती है. समाज में भेदभाव है, इंडस्ट्री में नहीं.
'गैंग्स ऑफ वासेपुर' से लोगों के दिल में उतर जाने वाले नवाजुद्दीन ने बताया कि उन्हें आज भी इस फिल्म के लिए कितना प्यार मिलता है. उन्होंने कहा, ''गैंग्स ऑफ वासेपुर' रिलीज होने के 5 महीने बाद, मैं जहां भी जाता, लोग मुझे कहते 'सर मैंने 25-30 बार फिल्म देखी है'. मुझे लगा था ये सब मजाक कर रहे हैं और मेरा मजाक उड़ा रहे हैं. 3-4 साल तक मुझे लगता था कि ये सब झूठ है. मुझे लगा लोग मजा उड़ा रहे हैं- मैं सामने पड़ जा रहा हूं इसलिए कह रहे हैं. बहुत बाद में मुझे यकीन होना शुरू हुआ कि फिल्म बहुत बड़ी हो गई है और लोगों ने इसे बहुत बार देखा है.'

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