नगालैंड फायरिंग: सैन्य अधिकारी के ‘जानबूझकर’ अहम सूचना छिपाने से हुई ग्रामीणों की मौत-एसआईटी
The Wire
दिसंबर 2021 में मोन ज़िले में हुई फायरिंग के मामले में नगालैंड सरकार की एसआईटी ने सेना के टीम कमांडर पर 'जानबूझकर चूक' का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके द्वारा लिए गए हिंसक क़दम और चूक को छिपाने के प्रयासों के चलते तेरह आम आदिवासियों की जान गई.
मुंबई: कम से कम 50 मिनटों के लिए सेना के मेजर रैंक के एक टीम कमांडर- जिन्होंने 4 दिसंबर, 2021 को नगालैंड के तिरु-ओटिंग इलाके में चलाए गए ऑपरेशन का नेतृत्व किया था- को कथित तौर पर इस बात की जानकारी थी कि उनकी टीम द्वारा बिछाया गया एंबुश (घात लगाकर हमला करने की तैयारी) गलत रास्ते पर था.
आरोप है कि इस अधिकारी ने इस बेहद अहम जानकारी को न सिर्फ ‘जानबूझकर दबाया’ बल्कि जानते-बूझते हुए 21 पैरा स्पेशल फोर्स की अतिकुशल अल्फा टीम के 29 सैन्य जवानों को गलत दिशा में भेज दिया. उन्होंने इसके बाद अपनी टीम को नगालैंड के मोन जिले में ऑपरेशन को अंजाम देने का आदेश दिया, जिसमें छह आम नागरिक मारे गए और दो लोग बेहद गंभीर तरीके से जख्मी हो गए.
यह झकझोर कर रख देने वाली जानकारी नगालैंड सरकार द्वारा गोलीकांड और उसमें हुई मौतों की जांच करने के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की छह महीने लंबे चली जांच के केंद्रीय निष्कर्षों में प्रमुख है.
एसआईटी ने टीम कमांडर पर ‘जाबूझकर गलती करने’ का आरोप लगाया है और कहा है कि उसकी आगे की हिंसक कार्रवाइयों और सबूत मिटाने की कोशिशों ने उस शाम हुई दो अलग-अलग फायरिंग की घटनाओं में 13 आदिवासी लोगों की जान ले ली. इस घटना में एक पैराट्रूपर गौतम लाल की भी मौत हो गई थी.