दिल्ली: शपथ में देरी से क्या सदन में बिना चर्चा के ही पास हो जायेगा MCD का बजट?
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दिल्ली नगर निगम एक्ट के मुताबिक हर हाल में 15 फरवरी तक एमसीडी को टैक्स की दरें सार्वजनिक करनी होती हैं. ऐसे में अनुमानित बजट प्रस्ताव की चर्चा सदन में होती है, उसके बाद ही बजट पास किया जाता है. बीते 8 दिसंबर को कमिश्नर ने करीब 16000 करोड़ रुपए का अनुमानित बजट पेश किया था.
6 जनवरी को दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी और बीजेपी के पार्षदों के हंगामे की भेंट चढ़ गया. इस घटना के बाद मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के 6 सदस्यों का चुनाव कब होगा ये किसी को नहीं पता. लेकिन यह तय है कि 26 जनवरी तक तो निगम की बैठक नहीं होगी.
शपथ के दिन से ही पार्षदों के कार्यकाल की शुरुआत मानी जाती है. ऐसे में दिल्ली नगर निगम का सत्र हर साल 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च को खत्म होता है. इसलिए इस बार नई मेयर को सबसे कम कार्यकाल मिलेगा. ऐसे में शपथ में देरी से यह कार्यकाल और छोटा होता चला जाएगा.
शपथ में देरी से दिल्ली वालों के हित किस तरह से प्रभावित हो रहे हैं, उसका ताजा उदाहरण नगर निगम का आगामी बजट है, जिस पर आशंका के बादल मंडरा रहे हैं कि अनुमानित बजट की चर्चा सदन में हो पाएगी भी या नहीं?
दिल्ली नगर निगम एक्ट के मुताबिक हर हाल में 15 फरवरी तक एमसीडी को टैक्स की दरें सार्वजनिक करनी होती हैं. ऐसे में अनुमानित बजट प्रस्ताव की चर्चा सदन में होती है, उसके बाद ही बजट पास किया जाता है. बीते 8 दिसंबर को कमिश्नर ने करीब 16000 करोड़ रुपए का अनुमानित बजट पेश किया था.
दिल्ली नगर निगम एक्ट के मुताबिक निगम की बैठक बुलाने के 72 घंटे पहले सभी को सूचना देनी होती है. ऐसे में फरवरी के पहले हफ्ते में सदन से बजट प्रस्ताव पास करने के लिए निगम की बैठक होनी जरूरी है.
नगर निगम मामलों के जानकार जगदीश ममगाई का कहना है कि कमिश्नर वाले बजट को सदन में पास ना होने की स्थिति में महापौर की शक्ति वाले विशेष अधिकारी अश्विनी कुमार ही पास कर देंगे. लेकिन अधिकारियों के बजट पर दिल्ली के चुने हुए ढाई सौ पार्षद चर्चा करके पास कराएं तभी जनता के हित वाला काम होगा.
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