
दिल्ली में जीरो की हैट्रिकः BJP में जश्न, AAP में मातम लेकिन कांग्रेस का तो खेल ही खत्म
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Delhi Poll Results: एक समय दिल्ली के लोगों की पहली राजनीतिक पसंद रही कांग्रेस, लगातार तीसरी बार भी दिल्लीवासियों के दिलों में जगह बनाने में नाकाम रही है. दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की जब मतगणना शुरू हुई और पोस्टल बैलट के मत गिने जा रहे थे, तो देश की सबसे पुरानी पार्टी एक सीट पर आगे चल रही थी. लेकिन जैसे-जैसे मतगणना आगे बढ़ी और ईवीएम खुलने लगे, तो यह स्पष्ट हो गया कि दिल्ली में कांग्रेस का पुनरुत्थान इस बार भी नहीं हुआ.
दिल्ली विधानसभा चुनाव का परिणाम आ गया है. बीजेपी ने 70 सदस्यीय विधानसभा में 48 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत हासिल किया है और दिल्ली में चल रहा 27 वर्षों का अपना राजनीतिक वनवास समाप्त किया है. वहीं, एक दशक पहले अन्ना आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी को एक दशक बाद राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता गंवानी पड़ी है. बीजेपी जहां अपनी जीत का जश्न मना रही है, वहीं AAP में हार का मातम पसरा है. लेकिन कांग्रेस के लिए दिल्ली में लगातार तीसरी बार कुछ भी हाथ नहीं लगा है.
कांग्रेस को पिछले डेढ़ दशक से राष्ट्रीय राजधानी में अपनी प्रासंगिकता खोजने के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ा है. 2013 में आम आदमी पार्टी के उभार के साथ दिल्ली में कांग्रेस का पतन शुरू हुआ था, जो अनवरत जारी है. यही वह साल था जब दिल्ली विधानसभा में कांग्रेस की सीटों की संख्या 43 से घटकर 8 पर आ गई और उसके वोट शेयर में 15 फीसदी की गिरावट आई. अगले दो चुनावों- 2015 और 2020 में कांग्रेस 0 पर सिमट गई और उसका वोट शेयर 10 फीसदी से नीचे आ गया.
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कांग्रेस की 67 सीटों पर जमानत जब्त
एक समय दिल्ली के लोगों की पहली राजनीतिक पसंद रही कांग्रेस, लगातार तीसरी बार भी दिल्लीवासियों के दिलों में जगह बनाने में नाकाम रही है. दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की जब मतगणना शुरू हुई और पोस्टल बैलट के मत गिने जा रहे थे, तो देश की सबसे पुरानी पार्टी एक सीट पर आगे चल रही थी. लेकिन जैसे-जैसे मतगणना आगे बढ़ी और ईवीएम खुलने लगे, तो यह स्पष्ट हो गया कि दिल्ली में कांग्रेस का पुनरुत्थान इस बार भी नहीं हुआ. सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद, कांग्रेस के उम्मीदवारों ने 67 सीटों पर अपनी जमानत गंवा दी और जिन तीन सीटों पर पार्टी अपनी जमानत बचाने में कामयाब रही, वे हैं बादली, कस्तूरबा नगर और नांगलोई जाट.
दिल्ली में कांग्रेस के पतन के पीछे कई कारण बताए जाते हैं. पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था, जब राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के तहत देश भर में मार्च किया था. उन्होंने आम लोगों से मुलाकात की और उनसे जुड़ने का प्रयास किया. जनता तक उनकी पहुंच का नतीजा लोकसभा नतीजों में दिखा. लेकिन उनकी पार्टी दिल्ली में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भाजपा को हराने के लिए प्रदर्शित उनके अटूट दृढ़ संकल्प का लाभ उठाने में विफल रही.

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