दिल्ली दंगों का एक सालः क्लेम कमिश्नर ने बताया कैसे काम कर रहा है क्षतिपूर्ति आयोग
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क्लेम कमिश्नर ने आज तक / इंडिया टुडे से कहा, "मेरा मानना है कि जो दंगाई हैं अगर वो दोषी पाए जाते हैं कोर्ट से तो उनसे ही नुकसान की भरपाई वसूल की जाए. फिलहाल हमारा काम है जिन्हें दिल्ली सरकार ने मुआवजा दिया अगर उन्हें कम मिला और जांच करके उनको और मुआवजा दिलवाना और जिन्हें नहीं मिला उनको मुआवजा दिलवाना.''
नार्थ ईस्ट दिल्ली में हुए दंगों का 1 साल पूरा हो चुका है. इन दंगों से प्रभावित लोगों को राहत देने के लिए हाई कोर्ट के जरिये जस्टिस (रिटायर्ड) सुनील गौड़ क्लेम कमिश्नर अपॉइंट किए गए हैं. जो दंगा पीड़ितो और प्रभावितों के मामलों को क्लेम दिए जाने के मामलों पर काम कर रहे हैं. उनसे आजतक की टीम ने विशेष बातचीत की. क्लेम कमिश्नर ने आज तक / इंडिया टुडे से कहा "मेरा मानना है कि जो दंगाई हैं अगर वो दोषी पाए जाते हैं कोर्ट से तो उनसे ही नुकसान की भरपाई वसूल की जाए. फिलहाल हमारा काम है जिन्हें दिल्ली सरकार ने मुआवजा दिया अगर उन्हें कम मिला और जांच करके उनको और मुआवजा दिलवाना और जिन्हें नहीं मिला, उनको मुआवजा दिलवाना. किसी के पास डॉक्यूमेंट नहीं लेकिन हालात ऐसे हमें लगे तो हम उनकी इंक्वायरी करके उन्हें भी मुआवजा दिलवाएंगे. हमारे पास ऐसे लोग भी आए, जिन्हें दिल्ली सरकार ने मुआवजा दिया लेकिन उनका कहना है कि कम मिला.''हिट एंड रन की ये घटना 19 मई की है. पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 साल आठ महीने के बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई थी. इस घटना के 14 घंटे बाद नाबालिग आरोपी को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी. हालांकि बाद में आरोपी को फिर से कस्टडी में लेकर जुवेनाइल सेंटर भेज दिया गया.
एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना आइजोल शहर के दक्षिणी बाहरी इलाके में मेल्थम और ह्लिमेन के बीच के इलाके में सुबह करीब छह बजे हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि भूस्खलन के प्रभाव के कारण कई घर और श्रमिक शिविर ढह गए, जिसके मलबे के नीचे कम से कम 21 लोग दब गए. अब तक 13 शव बरामद किए जा चुके हैं और आठ लोग अभी भी लापता हैं.