दबंगों की दुनियाः पिता की मौत का बदला, जेल में मुन्ना बजरंगी का मर्डर... दहला देगी इस कुख्यात गैंगस्टर की कहानी
AajTak
चार-चार लोगों के मर्डर से पूरा प्रदेश सन्न था. पुलिस सुनील राठी की तलाश कर रही थी. मगर वो बागपत छोड़कर फरार हो चुका था. वो भागकर पहले दिल्ली पहुंचा और वहां उसने अपने गुर्गों के साथ मिलकर एक शोरूम में डकैती डाली.
वो 9 जुलाई 2018 का दिन था. यूपी की बागपत जेल में आम दिनों की तरह ही वो भी एक दिन था. सुबह के करीब 6 बज चुके थे. कैदी जाग चुके थे. उन्हीं कैदियों में एक था माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का खास शूटर और यूपी का कुख्यात गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी. यूपी में कभी उसके नाम की तूती बोलती थी. कहते हैं उसका निशाना अचूक था. समय की सुई आगे बढ़ रही थी. सुबह के 6 बजकर 15 मिनट हुए थे. मुन्ना अपनी बैरक में था. तभी एक दूसरा कैदी वहां घुस आया और उसने मुन्ना बजरंगी को गोलियों से भून डाला. उस कैदी का नाम था सुनील राठी. इस हत्याकांड से पूरा सरकारी अमला सकते में आ गया था.
कौन है सुनील राठी? सुनील राठी यूपी के बागपत का रहने वाला है. उसके पिता नरेश राठी सियासत में सक्रीय थे. वे टिकरी इलाके से चेयरमैन भी रहे. लेकिन यही सियासत नरेश राठी के लिए मौत का सबब बनी. साल 1999 में उनकी हत्या कर दी गई थी. यही वो घटना थी, जिसने परिवार के नौजवान बेटे को जुर्म की दुनिया में धकेल दिया. वो अपने पिता की मौत का बदला लेना चाहता था. वो बदले की आग में जल रहा था.
उसने पिता के कातिलों को खत्म करने की कसम खाई थी. जिसके चलते साल 2000 में सुनील राठी ने ऐसा कांड किया कि वो बाहुबली के नाम से कुख्यात हो गया. उसने बदला लेने के लिए एक नहीं, दो नहीं बल्कि चार-चार लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. इसी खूनी वारदात ने उसे शातिर अपराधी बनाया. इसके बाद उसने पलटकर पीछे नहीं देखा.
पढ़ें-- दबंगों की दुनियाः जमीनों पर कब्जे का शौक, फिर जमींदोज हो गया खौफ... जानें, कौन है यूपी का माफिया गब्बर सिंह
4 मर्डर के बाद हरिद्वार को बनाया था ठिकाना चार-चार लोगों के मर्डर से पूरा प्रदेश सन्न था. पुलिस सुनील राठी की तलाश कर रही थी. मगर वो बागपत छोड़कर फरार हो चुका था. वो भागकर पहले दिल्ली पहुंचा और वहां उसने अपने गुर्गों के साथ मिलकर एक शोरूम में डकैती डाली. उसी डकैती के दौरान उसने वहां तीन लोगों को बेरहमी से मार डाला. अब यूपी के साथ-साथ दिल्ली पुलिस भी उसकी तलाश कर रही थी. लेकिन वो दिल्ली छोड़कर निकल चुका था.
उसका अगला ठिकाना था हरिद्वार. उस वक्त उत्तराखंड का निर्माण नहीं हुआ था. लिहाजा हरिद्वार भी यूपी का जिला था. राठी हरिद्वार को ही अपना ठिकाना बनाया. और वहीं से गैंग ऑपरेट करने लगा. वो वहीं से दिल्ली और यूपी में अपना नेटवर्क चला रहा था. यही वो दौर था, जब यूपी और उत्तराखंड अलग हो रहे थे.
केरल में ड्राइविंग के दौरान नियमों की धजी उड़ाने वाले शख्स पर कार्रवाई करते हुए मोटर व्हीकल विभाग ने तीन महीने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड कर दिया है. अलप्पुझा के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) आर. रामनन की जांच के बाद आरोपी पुजारी बैजू विंसेंट के खिलाफ कार्रवाई करते हुए तीन महीने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड कर किया गया है.
दिल्ली-कनाडा फ्लाइट को बीते सप्ताह उड़ाने की धमकी एक मेल के जरिए दी गई थी. इस मामले में पुलिस ने 13 साल के एक बच्चे को पकड़ा है. यह मेल बच्चे ने हंसी-मजाक में भेज दिया था. वह यह देखना चाहता था कि धमकी भरा मेल भेजने के बाद पुलिस उसे ट्रेस कर पाती है या नहीं. अब उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश किया जाएगा.
‘जिस घर में कील लगाते जी दुखता था, उसकी दीवारें कभी भी धसक जाती हैं. आंखों के सामने दरार में गाय-गोरू समा गए. बरसात आए तो जमीन के नीचे पानी गड़गड़ाता है. घर में हम बुड्ढा-बुड्ढी ही हैं. गिरे तो यही छत हमारी कबर (कब्र) बन जाएगी.’ जिन पहाड़ों पर चढ़ते हुए दुख की सांस भी फूल जाए, शांतिदेवी वहां टूटे हुए घर को मुकुट की तरह सजाए हैं. आवाज रुआंसी होते-होते संभलती हुई.