तो संसद के विशेष सत्र में पेश होगी ये 'स्पेशल रिपोर्ट'! लोकसभा चुनाव में बन सकती है गेमचेंजर
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सरकार ने पहले संसद का विशेष सत्र बुलाने का ऐलान किया तो फिर 'एक देश, एक चुनाव' का शिगूफा छोड़ दिया. दोनों ही मुद्दों पर इन दिनों हर जगह बहस सी छिड़ी हुई है. देश चर्चा कर रहा है कि क्या खास होने वाला है इस सत्र में.
संसद के विशेष सत्र से पहले 'एक देश ,एक चुनाव' को लेकर बहस सी छिड़ गई है. अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि विशेष सत्र किस प्रायोजन के लिए बुलाया गया है. लेकिन, इन सबके बीच अन्य पिछड़े वर्गों के उप वर्गीकरण के मुद्दे पर बनाए गए जस्टिस रोहिणी आयोग की रिपोर्ट को सदन में रखे जाने और इस पर बहस कराने की चर्चा सबसे ज्यादा हो रही है. जस्टिस रोहिणी आयोग की रिपोर्ट पिछले महीने ही राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु को सौंपी जा चुकी है.
चुनाव में साबित हो सकती हैं गेमचेंजर
रिपोर्ट के पिटारे में बहुत कुछ है जो अगले लोकसभा चुनाव का बड़ा मुद्दा बन सकता है, यानी तुरुप का पत्ता. इस रिपोर्ट में देश के कुल मतदाताओं के करीब 40 फीसदी से ज्यादा यानी ओबीसी मतदाताओं का भविष्य है जिसका राजनीतिक इस्तेमाल करने की होड़ लग जाएग. सत्तारूढ़ गठबंधन ने वो लागू कर दी तो उसकी खासियत गिनाएगा जबकि विपक्ष को उसमें सारी खामियां दिखने लगेगी. यानी कुल मिलाकर चुनावी फर्श पर राजनीतिक रायता खूब फैलेगा.
रिपोर्ट में हैं ये सिफारिशें
सूत्रों के मुताबिक लगभग 1100 पेज की इस रिपोर्ट के जरिए की गई सिफारिशें दो भागों में हैं. यानी ये पिछले चार दशकों से चली आ रही ओबीसी आरक्षण नीति की अवधारणा और व्यवहारिक प्रक्रिया में बड़ा बदलाव लाने वाली हो सकती है.सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट के दो भागों में से पहला तो ओबीसी आरक्षण कोटा के समान और सर्व समावेशी रूप से वितरण को लेकर है, जबकि दूसरा भाग देश में अब तक सूचीबद्ध 2,633 पिछड़ी जातियों की पहचान, आबादी में अनुपात और अब तक मिले आरक्षण के लाभ के आंकड़ों और तथ्यों का ब्योरा देता है.
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