
तेल को लेकर भारत को हेकड़ी दिखाने वाले यूरोप की खुली कलई!
AajTak
यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से ही भारत रियायती कीमतों पर रूस से भारी मात्रा में तेल खरीद रहा है. भारत के इस कदम पर अमेरिका समेत यूरोपीय यूनियन के कई देशों ने कड़ी आपत्ति जताई है. लेकिन हाल ही में जारी CREA की एक रिपोर्ट यूरोपीय यूनियन का पर्दाफाश कर रही है.
रूस की ओर से यूक्रेन में जारी हिंसक कार्रवाई के कारण यूरोपीय देश रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए हैं. इस प्रतिबंध के तहत यूरोपीय देशों ने अपने पारंपरिक तेल निर्यातक देश रूस से तेल खरीदना भी बंद कर दिया है. आर्थिक प्रतिबंध का मकसद रूसी अर्थव्यवस्था को कमजोर करना है. प्रतिबंध प्रभावी रूप से कारगर हों, इसके लिए यूरोपीय देशों ने भारत पर भी काफी दवाब बनाया ताकि भारत इन आर्थिक प्रतिबंधों को लागू करे और रूस से तेल खरीद बंद करे. यहां तक कि यूरोपीय देशों ने भारत के रूस से तेल खरीदने को लेकर कई बार नाराजगी भी जाहिर की.
इसी बीच फिनलैंड स्थित सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) ने एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि रूस पर प्रतिबंध लगाने वाले यूरोपीय देशों के लिए पांच देश 'लॉन्ड्रोमैट्स' की तरह काम कर रहे हैं. लॉन्ड्रोमैट से तात्पर्य यह है कि यूरोपीय देश रूस से सीधे तेल नहीं खरीद कर लॉन्ड्रोमैट देशों में शोधित (रिफाइन) रूसी तेल खरीद रहे हैं. इन पांच देशों में भारत के साथ-साथ चीन, सिंगापुर, तुर्की और यूएई है.
इसे इस तरह भी समझा जा सकता है कि रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लागू होने के बाद ये देश (लॉन्ड्रोमैट्स) भारी मात्रा में रूसी तेल खरीद रहे हैं और इसे रिफाइन कर उच्च कीमतों पर यूरोपीय देशों को बेच रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी तेल आयात पर बैन लगाने वाले देशों ने लॉन्ड्रोमैट्स देशों से पिछले एक साल में 42 अरब यूरो का तेल आायात किया है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रूसी तेल पर प्रतिबंध लागू होने के बाद लॉन्ड्रोमैट देशों की ओर से रूसी तेल आयात में काफी बढ़ोतरी हुई है.
रिपोर्ट में लॉन्ड्रोमैट्स में शामिल देशों की कड़ी आलोचना की गई है. रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि ये देश रूसी तेल खरीद रहे हैं और लूप होल का फायदा उठा कर इसे यूरोपीय देशों को बेच रहे हैं.
लॉन्ड्रोमैट देशों से तेल खरीद रहे हैं यूरोपीय देश

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.






