ताजमहल में मकबरा या मंदिर? इतिहासकार बोले- 22 कमरे का ताला खुलते ही खुल जाएगा राज
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ताजमहल के 22 कमरों को खोलने को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है. इस पर इतिहासकार राजकिशोर ने सवाल उठाया, 'जब इतनी बड़ी इमरात का निर्माण हो रहा था तो शाहजहां ताजमहल में क्यों नहीं था?'
ताजमहल एक बार फिर विवादों के घेरे में है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें ताजमहल के नीचे 22 कमरों का जिक्र किया गया और कमरों को खोलने की बात कही गई है, जिस पर आगरा के इतिहासकार राजकिशोर का कहना है कि अगर 22 कमरे खुलते हैं तो ये पता चल जाएगा कि वहां मंदिर थी या नहीं?
इतिहासकार राज किशोर ने कहा, '22 कमरों में अगर किसी प्रकार के मंदिर के चिन्ह मिलते हैं तो पता चलेगा कि किसी समय में ये मंदिर था न कि मकबरा और अगर कोई चिन्ह नहीं मिलता है तो ये विवाद हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा इसलिए ये जरूरी है कि 22 कमरों को खोला जाए और याचिकाकर्ता ने सही मांग की है.'
'45 साल बाद ASI ने बंद किया था रास्ता'
इतिहासकार राज किशोर ने कहा, 'ताजमहल के नीचे बने 22 कमरों तक जाने के लिए पहले रास्ता था, लेकिन 45 साल पहले एएसआई ने रास्ता बंद कर दिया. उन 22 कमरों में क्या है? ये रहस्य अब तक नहीं खुल पाया है.' राज किशोर ने कहा कि ताजमहल के इन 22 कमरों के खोलने के बाद ताजमहल से जुड़े सभी रहस्य बाहर आ जाएंगे.
राज किशोर ने कहा, 'जिस वक्त ताजमहल का निर्माण हुआ, उस वक्त शाहजहां दक्षिण भारत में था. मुमताज भी उनके साथ थी. बुराहनपुर में मुमताज की मौत हुई. शाहजहां का बेटा सूजा, मुमताज के शव को लेकर आगरा आया, पहले मुमताज को ताजमहल की मुख्य इमारत और संग्रहालय के बीच में दफन किया गया और उसके 6 महीने बाद ताजमहल के मुख्य मकबरे में दफन किया गया.'
'ताजमहल के निर्माण के दौरान शाहजहां क्यों मौके पर नहीं था?'
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