
ठाकरे कार्ड, मराठी वोटों का गणित और हिंदुत्व की पिच... राज ठाकरे और बीजेपी को एक-दूसरे की जरूरत क्यों है?
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महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरणों की तपिश मुंबई से लेकर दिल्ली तक देखने को मिल रही है. MNS चीफ राज ठाकरे जल्द ही एनडीए जॉइन कर सकते हैं. मंगलवार सुबह उन्होंने दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव विनोद तावड़े से मुलाकात की, उसके बाद वो गृहमंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे. राज ठाकरे की पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में दक्षिण मुंबई और शिर्डी सीट पर दावेदारी कर सकती है.
महाराष्ट्र नव निर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे के एनडीए के साथ आने की चर्चाएं तेज हैं. कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि महाराष्ट्र में एनडीए को क्या जरूरत समझ में आ रही है कि तीन बड़ी पार्टियों (बीजेपी-एकनाथ शिंदे और अजित पवार गुट) के होने के बावजूद MNS को साथ लेना पड़ा रहा है? तब जब राज्य में MNS का सिर्फ एक ही विधायक है और संगठन भी उतना ताकतवर नहीं है. राजनीतिक जानकार इसके पांच बड़े कारण गिना रहे हैं.
पहला- पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि कहीं ना कहीं बीजेपी इस बात को लेकर क्लीयर नहीं है कि लोकसभा चुनाव में मुंबई और आसपास के इलाकों में उद्धव गुट और कांग्रेस उनका गठबंधन कितना नुकसान पहुंचा सकता है? पिछली बार यहां की सभी सीटों पर एनडीए ने जीत हासिल की थीं. ऐसे में बीजेपी इस बार भी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है. ये नंबर पार्टी के लिए बहुत मायने रखते हैं. खासकर इसलिए, उद्धव ठाकरे अगर मुंबई में कोई सीट जीत जाते हैं तो ये उनकी पार्टी के लिए बड़ा बूस्ट होगा. उसे काउंटर करने के लिए अभी भी मजबूत लोगों को अपने पाले में लाने की जरूरत है.
'मुंबई और आसपास की सीटें जीतने का प्लान'
दूसरा- मूड ऑफ द नेशन के सर्वे में भी महा विकास अघाड़ी (इंडिया ब्लॉक) और एनडीए के बीच में करीब 4 प्रतिशत वोट का अंतर दिखाई दिया था. इसका मतलब साफ है कि अभी भी करीब 15 प्रतिशत फ्लोटिंग वोट दिखाई दे रहा था. ऐसे में फ्लोटिंग वोट को समय रहते अपने पाले में लाने की कोशिश करनी चाहिए. उसे देखते हुए बीजेपी की ओर से राज ठाकरे से संपर्क किया गया. खासकर दक्षिण मुंबई की सीट पर बात चल रही है. उसका असर मुंबई और आसपास के इलाकों में देखने को मिल सकता है.
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'कोर मराठी वोटर्स अपने पक्ष में लाने की कवायद'

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