
ट्रंप पहले नहीं, निक्सन-क्लिंटन समेत इन अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने भी उठाए थे भारत विरोधी कदम, बुरा हुआ उन फैसलों का हश्र
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रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भारत से नाराज हैं और इसकी सजा के तौर पर उन्होंने 50 फीसदी का टैरिफ लगा दिया है. लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब भारत के खिलाफ अमेरिका प्रेशर पॉलिटिक्स की चाल चल रहा है. इससे पहले भी अमेरिका ने जितनी बार दबाव बनाने की कोशिश की, उतनी बार भारत और मजबूती के साथ उठकर खड़ा हुआ है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीद के लिए भारत पर भारी-भरकम टैरिफ लगाया है. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि भारत तेल खरीदकर रूस को यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ने के लिए फंडिंग कर रहा है. ट्रंप प्रशासन की भारत विरोधी नीतियों और उनके बयानों की वजह से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है. भारत का साफ कहना है कि वह अपनी संप्रभुता के साथ किसी तरह का समझौता नहीं करेगा और रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा.
जब अमेरिका ने रोकी थी गेहूं की सप्लाई
ट्रंप प्रशासन की ओर से यहां तक कहा गया कि भारत अगर रूस से तेल खरीद को बंद कर देता है तो उसे टैरिफ में रियायत मिल सकती है. लेकिन भारत किसी भी कीमत पर अमेरिकी दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं है. हालांकि ट्रंप पहले ऐसे राष्ट्रपति नहीं है जो भारत के खिलाफ दबाव की रणनीति पर काम कर रहे हैं. इससे पहले भी कई मौकों पर अलग-अलग सरकारों के दौरान भारत पर प्रेशर बनाने की कोशिश की गई, लेकिन भारत हर बार मजबूती के साथ खड़ा रहा.
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साल 1962 में भारत पड़ोसी मुल्क चीन से जंग लड़ रहा था और उस दौर में देश का अन्न भंडार उतना मजबूत नहीं था. जंग के बाद खाद्यान संकट पैदा हो गया, क्योंकि तब खाद्य सुरक्षा को लेकर देश इतना सजग नहीं था. भारत में प्रतिकूल हालात को देखते हुए पाकिस्तान ने 5 अगस्त 1965 को जंग छेड़ दी, तब लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री थे. इस जंग के बीच अमेरिका के तत्कालानी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने भारत को धमकी दी कि अगर लड़ाई नहीं रुकी तो अमेरिका, भारत को गेहूं भेजना बंद कर देगा. उस दौर में अमेरिका पीएल-480 स्कीम के तहत भारत को गेहूं की सप्लाई करता था.
भारत ने खाद्य सुरक्षा को बनाया औजार

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