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जहांगीरपुरी की घटनाओं से सीखना चाहिए कि हम निकृष्ट क्रूरता से कैसे लड़ सकते हैं

जहांगीरपुरी की घटनाओं से सीखना चाहिए कि हम निकृष्ट क्रूरता से कैसे लड़ सकते हैं

The Wire
Friday, April 22, 2022 01:54:15 AM UTC

बीते चार-पांच दिनों में जहांगीरपुरी में जो कुछ भी घटित हुआ, उसने इस देश की निकृष्टतम और श्रेष्ठतम, दोनों तस्वीरों को साफ़ कर दिया है. इस छोटी-सी अवधि में ही हम जान गए हैं कि भारत को पूरी तरह से तबाह कैसे किया जा सकता है. साथ ही यह भी कि अगर उसे बचाना है तो क्या करना होगा.

जहांगीरपुरी की घटनाओं ने भारत का निकृष्टतम और श्रेष्ठतम दिखला दिया है. दो दिनों में ही हमें मालूम हो गया कि भारत को पूरी तरह से तबाह कैसे किया जा सकता है. और यह भी कि अगर उसे बचाना है तो क्या करना होगा.

जो निकृष्टतम था वह भारतीय जनता पार्टी, प्रशासन और पुलिस के वक्तव्यों और कृत्यों में प्रकट हुआ. हिंदी टेलीविज़न चैनलों के ‘पत्रकारों’ में भी. आम आदमी पार्टी ने फिर साबित किया कि वह द्विअर्थी संवादों की कला पर इतनी मुग्ध है कि वह नहीं देख पा रही कि उसकी चतुराई भी उसकी अवसरवादिता और कायरता को नहीं छिपा सकती.

जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती के दिन एक हिंसक भीड़ को उन गलियों से गुजरने दिया गया जिनमें ज़्यादातर मुसलमान रहते हैं. हाथों में तलवार, दूसरे धारदार हथियार, तमंचे लहराते हुए और मुसलमानों को गालियां देते हुए यह हिंसक भीड़ शाम की नमाज़ के वक़्त मस्जिद के सामने हंगामा करने लगी.

मुसलमानों ने इस भीड़ को पीछे धकेला. पत्थर चले. रिपोर्ट है कि गोलियां चलीं. पुलिस के सामने यह सब कुछ हुआ. पुलिस ने कहा कि यह जुलूस बिना उसकी इजाज़त के निकाला गया. ऐसे जुलूस को वह शोभायात्रा कहती है. गाली-गलौज, बंदूक़, तलवार के साथ हुड़दंग को अगर हम शोभायात्रा मानते हैं तो हम भी धन्य हैं.

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