
चुनाव से पहले फिर बुरे फंसे ट्रंप! सैनिकों को श्रद्धांजलि देने पर क्यों हुआ विवाद
AajTak
ट्रंप दरअसल तीन साल पहले अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के दौरान काबुल में आत्मघाती हमले में मारे गए 13 अमेरिकी सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए सेमेट्री (कब्रिस्तान) गए थे. इस दौरान उनकी कैंपेन टीम के साथ एक फोटोग्राफर भी था. जिसे लेकर विवाद हुआ.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शहीद अमेरिकी सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए बीते सोमवार को आर्लिंगटन नेशनल सेमेट्री (Arlington National Cemetary) गए थे. लेकिन उनका यह दौरा विवादों में घिर गया. इसकी वजह है फोटोग्राफर की मौजूदगी.
ट्रंप दरअसल तीन साल पहले अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के दौरान काबुल में आत्मघाती हमले में मारे गए 13 अमेरिकी सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए सेमेट्री (कब्रिस्तान) गए थे. इस दौरान उनकी कैंपेन टीम के साथ एक फोटोग्राफर भी था. जिसे लेकर विवाद हुआ.
आर्लिंगटन नेशनल सेमेट्री में फोटोग्राफर की मौजूदगी को लेकर ट्रंप की कैंपेन टीम के सदस्य और सेमेट्री के अधिकारियों के बीच बहस हो गई. फोटोग्राफर को रोकने की कोशिश की गई. यह बहस हाथापाई तक जा पहुंची, जहां ट्रंप के स्टाफ ने अधिकारी को धक्का भी दिया. सेमेट्री अधिकारी ने ट्रंप के स्टाफ को फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करने से रोकने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि सिर्फ सेमेट्री स्टाफ के सदस्यों को ही इस क्षेत्र में तस्वीर लेने और वीडियोग्राफी करने की इजाजत है.
सेमेट्री ने बयान जारी कर कहा कि कानून के तहत सैन्य कब्रिस्तानों में राजनीतिक प्रचार और चुनाव संबंधी गतिविधियों पर रोक है. इस तरह की जगहों पर राजनीतिक प्रचार सही नहीं है.
बैकफुट पर ट्रंप की टीम
यह मामला सार्वजनिक होने और विवाद बढ़ने के बाद ट्रंप के इलेक्शन कैंपेन के प्रवक्ता चेउंग ने हाथापाई की घटना से इनकार किया. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर हम इस घटना की फुटेज जारी करने के लिए तैयार हैं.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.






