चीनी सेना को बनाएंगे 'Great Wall of steel', दुनिया में बड़ा रोल निभाने के लिए जिनपिंग ने बनाया प्लान
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तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बनने के बाद शी जिनपिंग ने चीन की सेना को इस्पात की मजबूत दीवार सरीखा बनाने का संकल्प लिया है. चीन का समाज जिस तरह से चीन की दीवार को महान और अभेद्य मानता है उसी तरह चीन की सेना को जिनपिंग ताकतवर और प्रभुत्वशाली बनाने की मंशा पाल रखे हैं. लेकिन इस मंशा के पीछे दुनियादारी के मामलों में ज्यादा से ज्यादा चौधराहट दिखाने की चीनी महात्वाकांक्षा छिपी है.
तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बनने के बाद शी जिनपिंग ने अपनी महात्वाकांक्षी योजनाएं दुनिया के सामने जाहिर कर दी है. शी जिनपिंग ने सोमवार को जता दिया है कि बीजिंग अब दुनिया में खुलकर अपनी चौधराहट दिखाने वाला है. इसके लिए वह अपनी विशाल सैन्य शक्ति का इस्तेमाल कवच की तरह करने वाला है.
सोमवार को तीसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद अपने पहले संबोधन में शी जिनपिंग ने चीन की सेना को 'ग्रेट वॉल ऑफ स्टील' में तब्दील करने का संकल्प लिया. इसके साथ ही उन्होंने वैश्विक मामलों में बीजिंग के लिए बड़े रोल की भी मांग कर डाली है. जिनपिंग का ये बयान तब आया है जब हाल ही में चीन ने दो कट्टर दुश्मन माने जाने वाले मुस्लिम राष्ट्रों सऊदी अरब और ईरान के बीच एक सुलह समझौता कराया है.
69 वर्षीय शी जिनपिंग ने अमेरिका और कुछ पड़ोसी देशों के साथ बढ़ते तनाव के बीच चीन की संप्रभुता की रक्षा के लिए सेना को "इस्पात की महान दीवार" बनाने का भी संकल्प लिया.
ग्लोबल गवर्नेंस सिस्टम में बढ़ेगी चीन की चौधराहट
चीन की विधायिका नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के 3000 प्रभावशाली सदस्यों को संबोधित करते हुए जिनपिंग ने कहा कि चीन ग्लोबल गवर्नेंस सिस्टम में रिफॉर्म और इसके विकास में एक्टिव रोल अदा करेगा. इसका उद्देश्य दुनिया में बीजिंग की राजनयिक और कूटनीतिक भूमिका का विस्तार करना है. बता दें कि दुनिया के सत्ता समीकरणों को देखें तो अबतक ये जिम्मेदारी अमेरिका, रूस, ब्रिटेन जैसे देश निभाते आये हैं, पिछले कुछ सालों से इस रोल को पाने के लिए कई वैश्विक मंचों पर चीन की बेताबी दिखी है.
शी जिनपिंग की इस टिप्पणी का बैकग्राउंड समझना जरूरी है. जिनपिंग ने ये बयान तब दिया है जब कुछ ही दिन पहले चीन ने सऊदी अरब-ईरान के बीच वर्षों की शत्रुता को समाप्त करने और राजनयिक संबंधों को बहाली के लिए एक समझौता कराया है. अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में इस घटना को कूटनीतिक तख्तापलट कहा जा रहा है.