
क्षेत्रीय समीकरण, जातीय गणित या नए चेहरे का फॉर्मूला... ये फैक्टर तय करेंगे दिल्ली में BJP का अगला मुख्यमंत्री
AajTak
दिल्ली में प्रचंड जीत के बाद बीजेपी ने अगला मुख्यमंत्री तय करने की कवायद शुरू कर दी है. इस बार पार्टी को लगभग हर वर्ग और हर क्षेत्र से वोट मिला है और ऐसे में मुख्यमंत्री का नाम तय करते वक्त सभी समीकरणों को ध्यान में रखने की कोशिश की जाएगी.
दिल्ली की सत्ता में 27 साल के लंबे अंतराल के बाद बीजेपी की जोरदार वापसी हुई है. दस साल से केंद्र की सत्ता पर काबिज बीजेपी तमाम कोशिशों के बावजूद अब तक राजधानी में चुनाव नहीं जीत पाई थी. लेकिन पार्टी ने इस बार 'बदलकर रहेंगे दिल्ली' के नारे के साथ चुनाव लड़ा था. इस नारे पर आगे बढ़ते हुए बीजेपी ने दिल्ली की सत्ता को बदल दिया और सत्ताधारी आम आदमी पार्टी को शिकस्त दी है. यहां तक कि 10 साल दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे AAP के मुखिया अरविंद केजरीवाल तक नई दिल्ली से अपनी सीट गंवा चुके हैं. साथ ही पार्टी के कई बड़े नेताओं को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.
प्रचंड जीत के बाद दिल्ली में बीजेपी के अगले मुख्यमंत्री के नाम को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है. अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, यह अब तक साफ नहीं हुआ है क्योंकि बीजेपी बिना कोई चेहरा घोषित किए चुनाव में उतरी थी, ऐसे में विधायकों की सहमति के बाद पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही नए सीएम के नाम पर मुहर लगाएगा. हालांकि इस रेस में केजरीवाल को हराने वाले बीजेपी नेता प्रवेश वर्मा का नाम सबसे आगे माना जा रहा है. इसके अलावा भी विजेंद्र गुप्ता, आशीष सूद, मोहन सिंह बिष्ट और सतीश उपाध्याय जैसे कई नामों की चर्चा तेज है. दिल्ली में अगला सीएम तय करने से पहले बीजेपी कुछ फैक्टर्स का ध्यान जरूर रखेगी ताकि आगामी पांच साल तक सुचारू ढंग से सरकार को चलाया जा सके और पार्टी के कोर वोट बैंक से इतर नए मतदाताओं को भी अपने साथ जोड़ने में मदद मिले.
क्षेत्रीय समीकरण रहेंगे अहम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में बीजेपी की जीत के बाद दिए अपने पहले भाषण में राजधानी को 'मिनी हिन्दुतान' कहा था. इससे साफ है कि दिल्ली में पूर्वांचली, हरियाणवी, पहाड़ी और पंजाबी समेत कई क्षेत्रों के वोटर रहते हैं जिनका अलग-अलग इलाकों में प्रभाव है. मनोज तिवारी जैसे नेता का दिल्ली में आकर बसना और यहां की राजनीति में शीर्ष तक पहुंचना इस बात का गवाह है. दिल्ली में सबसे ज्यादा प्रभाव यूपी-बिहार से आने वाले पूर्वांचली वोटरों का माना जाता है और कम से कम 20 सीटों पर उनकी भूमिका निर्णायक रहती है. इसी तरह हरियाणा की सीमा से सटी करीब 10 सीटों पर बीजेपी का प्रदर्शन शानदार रहा है. इसके अलावा दस फीसदी से ज्यादा पंजाबी मतदाताओं वाली 28 सीटों में बीजेपी को इस बार 23 सीटों पर जीत मिली है.
ये भी पढ़ें: एक सपने की मौत... दिल्ली में AAP की हार एक राज्य में सत्ता बदल भर नहीं है!
ऐसे में क्षेत्रीय समीकरणों के आधार पर भी बीजेपी मुख्यमंत्री का नाम तय कर सकती है. पार्टी इस प्रचंड जीत के बाद हर क्षेत्र से आने वाले लोगों को सरकार में प्रतिनिधित्व देना चाहेगी. इसी कोशिश में बीजेपी पूर्वांचली नेता और घोंडा से दूसरी बार जीतकर आए अजय महावर और लक्ष्मी नगर से जीते अभय वर्मा पर दांव चल सकती है. इसके अलावा मूल रूप से उत्तराखंड से आने वाले मोहन सिंह बिष्ट भी एक विकल्प हो सकते हैं जो छठी बार चुनाव जीते हैं. क्षेत्रीय समीकरण के लिहाज से पंजाबी चेहरा मनजिंदर सिंह सिरसा और आशीष सूद भी CM पद की रेस में चल रहे हैं. कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि पार्टी सीएम के साथ-साथ एक डिप्टी सीएम के नाम पर भी मुहर लगा सकती है.

महाराष्ट्र के चंद्रपुर में कर्ज चुकाने के लिए किडनी बेचने का दावा करने वाले किसान रोशन कुदे की मेडिकल जांच में पुष्टि हुई है कि उसके पास केवल एक किडनी है. मामले में छह साहूकार गिरफ्तार किए गए हैं. पुलिस मानव अंग तस्करी और अवैध कर्ज वसूली के एंगल से जांच कर रही है. दावे के मुताबिक इस किसान ने साहूकारों से 50 हजार का कर्ज लिया था जो ब्याज के साथ बढ़कर 74 लाख रुपये तक पहुंच गया.

सुप्रीम कोर्ट ने बोतलबंद पानी की गुणवत्ता से जुड़ी जनहित याचिका की सुनवाई से इनकार कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि देश में पीने के पानी की उपलब्धता प्राथमिकता है और बोतलबंद पानी के मानकों पर विचार करने के लिए सक्षम प्राधिकरण मौजूद है। याचिका में बोतलबंद पानी के पुराने मानकों और प्लास्टिक से रिसने वाले रसायनों के स्वास्थ्य प्रभावों को लेकर चिंता जताई गई थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को संबंधित प्राधिकरण के समक्ष अपनी बात रखने की सलाह दी।

रायपुर की सड़कों पर बिजली के खंभे, पेड़ और ट्रैफिक सिग्नल तक बैनरों से भर गए हैं, जो ड्राइवरों के लिए खतरा भी बन रहे हैं. नगर निगम ने अवैध फ्लेक्स हटाने और जुर्माना लगाने की कार्रवाई तेज कर दी है. पर्यावरण कार्यकर्ता बताते हैं कि ये प्लास्टिक बैनर प्रदूषण बढ़ाते हैं और पेड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं. मौसम खराब होने पर ये बैनर गिरकर सड़क जाम और दुर्घटना का कारण बनते हैं.

राजधानी में प्रदूषण और उत्तर भारत में कोहरे का कहर... PUCC से जुड़े फैसले पर क्या बोले दिल्ली के लोग
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और GRAP-4 के चलते 18 दिसंबर से बिना वैध PUC पेट्रोल-डीजल पर रोक लगी. बॉर्डर पर सख्ती बढ़ी, कोहरे से यातायात और खेल गतिविधियां भी प्रभावित हुईं.

MGNREGA के स्थान पर विकसित भारत रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल 2025 को लोकसभा में पारित कर दिया गया है. इस बिल को पारित करने के दौरान विपक्ष ने सदन में जोरदार हंगामा किया और बिल की कॉपी फाड़ दी. इस नए बिल का मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आजीविका को और बेहतर बनाना है ताकि बेरोजगारी कम हो और ग्रामीण इलाकों के विकास को बढ़ावा मिले. यह बिल भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और लोगों को स्थायी रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

महाराष्ट्र में बीएमसी चुनाव को लेकर सियासी तपिश गर्म है, लेकिन शरद पवार मुंबई से दूरी बनाए हुए हैं. कांग्रेस के EVM के मुद्दे से पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने एक तरफ किनारा कर लिया और अपने सांसदों के साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलीं. ऐसे में सवाल उठता है कि शरद पवार की पार्टी के मन में चल क्या रहा है?







