
क्या है UPSC का वो दिव्यांगता कोटा जिसपर IAS पूजा खेडकर मामले के बाद उठ रहे हैं सवाल
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जिस तरह पूजा खेडकर ने आईएएस पद हासिल किया, क्या कोई मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति भी कोटे के जरिये IAS बन सकता है. इस मामले ने पुणे के जिलाधिकारी दुहास दिवासे द्वारा राज्य के मुख्य सचिव से शिकायत के बाद तूल पकड़ा. इस बहस मुहाबिसे के बीच आइए जानते हैं कि आखिर दिव्यांग कोटे के जरिये यूपीएससी में चयन की पूरी प्रक्रिया क्या है.
15 जुलाई की शाम सोशल मीडिया में UPSC स्कैम हैशटैग खुलकर वायरल हो रहा था. लोग यूपीएससी में कोटे के जरिये हुए IAS चयन पर सवाल उठा रहे हैं. इसमें IAS पूजा खेडकर के अलावा अब एक और आईएएस अफसर का नाम भी सामने आने लगा है. महाराष्ट्र की ट्रेनी IAS पूजा खेडकर जब से चर्चा में आई हैं, लोग बस यही सवाल पूछ रहे हैं कि क्या कोई मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति भी कोटे के जरिये IAS बन सकता है. इस मामले ने पुणे के जिलाधिकारी दुहास दिवासे द्वारा राज्य के मुख्य सचिव से शिकायत के बाद तूल पकड़ा. इस बहस मुहाबिसे के बीच आइए जानते हैं कि आखिर दिव्यांग कोटे के जरिये यूपीएससी में चयन की पूरी प्रक्रिया क्या है.
21 नई डिसएबिलिटी भी हुई हैं शामिल: IAS इरा सिंघल
अरुणांचल में पोस्टेड IAS इरा सिंघल ने साल 2014 में यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया टॉप किया था. लोकोमोटर डिसेबिलिटी (स्कोलियोसिस) से ग्रसित इरा ने इसके लिए लंबा संघर्ष किया है. aajtak.in से बातचीत में आईएएस इरा ने बताया कि डिसेबिलिटी कोटा 4 तरीके (ऑर्थो, विजुअल, हियरिंग, मल्टिपल डिसेबिलिटीज) के होते हैं. वो आगे बताती हैं कि ने RPwD ( Rights of person with diabilities) ACT में 21 डिसेबिलिटीज रिकग्नाइज हुई हैं. इसमें कई सारी मेंटल की हैं. इसके अलावा एसिड अटैक सर्वाइवर को भी एड किया गया है. इसमें नियम यह है कि जब कोई उम्मीदवार फॉर्म में डिसऐबल होने का दावा करता है तो उसका वेरिफिकेशन तब होता है जब वो इंटरव्यू में सेलेक्ट हो जाता है. वेरिफिकेशन के लिए यूपीएससी द्वारा दिल्ली के बड़े सरकारी अस्पतालों में तय किए गए मेडिकल बोर्ड में टाइम और डेट दी जाती है और जब बाकी लोगों का वेरिफिकेशन होता है. उन्हीं डेट्स में पीएच (फिजिकली हैंडीकैप्ड) वालों का भी वेरिफिकेशन होता है. ये मेडिकल बोर्ड यूपीएससी के साथ संबद्ध होता है.
IAS इरा ने बताया कि नए RPWD के तहत 21 डिसेबिलीटीज रजिस्टर्ड हैं. मसलन यूपीएससी में हर सर्विस वाले बोलते हैं कि मुझे इस डिसएबिलिटी वाले लोग लेने हैं , मुझे ये वाले लेने हैं. आयोग को DOPT के नियम के अनुसार पीएच कैंडिडेट्स के लिए जॉब आईडेंटीफाई करने होते हैं. कोटे को लेकर सोशल मीडिया में कई तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं. जैसे कोई कह रहा है कि आईपीएस की सर्विस में कोटे से लोग गए हैं, लेकिन ऐसा संभव ही नहीं है. IPS और पुलिस की सर्विस में कोई भी PWD कैंडिडेट जा ही नहीं सकता. इसी तरह आईएएस सर्विसेज के लिए मेंटल फिटनेस बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि अगर पूजा खेडकर केस की बात करें तो कोई भी कैंडिडेट दो साल तक प्रोबेशन में होता है, अगर इन दो साल में उसका मेडिकल वेरिफाइ नहीं होता है तो 2 साल बाद उसे निकाल दिया जाएगा. नियम बहुत स्पष्ट हैं जब तक कोटा अप्रूव नहीं होता तब तक पोस्टिंग कंडीशनल होती है.
40 पर्सेंट डिसएबिलिटी मान्य
मुखर्जी नगर में विजन आईएएस कोचिंग संस्था के शिक्षक पुष्पेंद्र श्रीवास्तव बताते हैं कि जहां तक मैंने इसका अध्ययन किया है तो अगर उम्मीदवार को किसी भी तरह की डिसएबिलिटी होगी तो वो 40 पर्सेंट होनी चाहिए.अगर कोई मेडिकल बोर्ड 40 पर्सेंट लिखकर दे देता है तो ये प्राइमरी लेवल पर मान्य होता है. फिर जब उम्मीदवार सेलेक्ट होता है तो आईएएस में चयन के लिए यूपीएससी से मान्य मेडिकल बोर्ड इसे डिसाइड करता है कि उम्मीदवार सही में विकलांग है भी कि नहीं. वो कहते है कि पूजा खेडकर के मामले में यह हुआ कि कोरोना के दौर में वो मेडिकल बोर्ड में नहीं गईं और टालती रहीं.कोरोना पीरियड के कारण वो बार बार एक्सटेंशन लेती रहीं, उसी बीच इन्होंने ज्वाइनिंग ले लीं. उन्हें दोबारा डेट दी गई तो ये जा नहीं रहीं. वो उदाहरण के जरिये समझाते हुए कहते हैं कि जैसे आपने कई बार देखा होगा कि कोई पोलियो का शिकार है फिर भी उसे सेलेक्शन नहीं मिला तो जरूर उसकी दिव्यांगता 40 पर्सेंट नहीं होगी. अगर किसी उम्मीदवार ने कोई कोटा लिया है तो उसका प्रमाणन यूपीएससी जरूर कराता है. बगैर सर्टिफिकेट प्रमाणित हुए किसी भी तरह के कोटे का फायदा नहीं दिया जा सकता.

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