क्या है इद्दत, जिसे न मानने पर Imran Khan और उनकी पत्नी को हुई सजा, कब इस्लाम में शादियां अवैध बन जाती हैं?
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पाकिस्तान में गुरुवार को आम चुनाव हैं. इससे पहले वहां के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को गैरकानूनी तरीके से शादी पर 7 साल की सजा सुनाई गई. कोर्ट ने इमरान और उनकी पत्नी बुशरा के खिलाफ इद्दत मैरिज केस में फैसला सुनाते हुए कहा कि ये शादी गैर-इस्लामिक है. जानिए, क्या है इद्दत और क्यों इसे न मानने पर मुस्लिम शादियां अमान्य हो जाती हैं.
पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान को ऐन चुनाव से पहले एक के बाद एक तीन मामलों में सजा हो गई. ताजा केस अवैध शादी का है. इसी 3 फरवरी को रावलपिंडी में सिविल जज ने इमरान और उनकी तीसरी पत्नी बुशरा खान के खिलाफ फैसला सुनाया. मामले को खुद बुशरा के पूर्व पति खावर फरीद मानेका कोर्ट तक लेकर गए थे. उनका कहना था कि इमरान से रिश्ते के समय बुशरा का इद्दत का समय चल रहा था. दोनों ने इसी पीरियड में निकाह किया, जो पाकिस्तान पीनल कोड की धारा 496 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है.
क्या है इद्दत यह इंतजार की अवधि है. इसका पालन किसी महिला को तब करना होता है, जब उसके शौहर की मौत हो जाए. इस दौरान महिला एक निश्चित वक्त तक शादी नहीं कर सकती है. ये समय करीब 4 महीने लंबा होता है. तलाक के बाद भी ये वेटिंग पीरियड मानना जरूरी है. इस अवधि को कुरू कहते हैं, हालांकि बोलचाल में इसे भी इद्दत ही कहा जाता है.
क्यों पालन करना जरूरी इद्दत का मुख्य उद्देश्य ये सुनिश्चित करना है कि इस दौरान महिला गर्भवती तो नहीं. अगर इद्दत का समय पूरा किए बगैर महिला शादी कर ले और इसके बाद प्रेग्नेंसी सामने आए तो ये हो सकता है कि बच्चे की वैधता पर शक हो. इसी शक को दूर करने के लिए इद्दत की अवधि लंबी रखी गए ताकि प्रेग्नेंसी (अगर हो तो) पता लग जाए. इसमें ये भी है कि गर्भवती होने पर महिला बच्चे के जन्म तक नई शादी नहीं कर सकती.
महिला को दर्द से उबारना भी एक मकसद
इसका एक मकसद नए रिश्ते से पहले महिला को पूरी तरह से तैयार करना भी है. पति की मौत या तलाक के बाद औरत उस सदमे से बाहर आकर रिश्ते को पूरी तरह से अपना सके, इद्दत इस प्रिपरेशन का समय भी देता है. इस दौरान महिला शादी नहीं कर सकती. अगर वो ऐसा कर ले तो शरियत के मुताबिक संबंध गैर-इस्लामिक माना जाएगा.