क्या उत्तर प्रदेश भाजपा में हो रही उठापटक किसी बदलाव का संकेत है
The Wire
विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले उत्तर प्रदेश भाजपा में ‘राजनीतिक अस्थिरता’ का संक्रमण शुरू हो गया, जिसके केंद्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं. भाजपा-आरएसएस के नेताओं के मंथन के बीच सवाल उठता है कि हाल के दिनों में ऐसा क्या हुआ कि उन्हें यूपी का रण जीतना उतना आसान नहीं दिख रहा, जितना समझा जा रहा था.
विधानसभा चुनाव के ठीक नौ महीने पहले कोविड की दूसरी लहर के उतरते-उतरते उत्तर प्रदेश भाजपा में ‘राजनीतिक अस्थिरता’ का संक्रमण शुरू हो गया, जिसके केंद्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं. योगी आदित्यनाथ की नेतृत्व क्षमता, प्रशासनिक क्षमता पर सवाल उठने लगे और कहा जाने लगा कि उनके नेतृत्व में भाजपा यूपी का चुनाव नहीं जीत पाएगी. उत्तर प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा तेज हो गई. लखनऊ और दिल्ली में भाजपा-आरएसएस के शीर्ष नेताओं के मिलन हुए, बैठकें हुई और आखिरकार योगी को भी दो दिवसीय दौरे पर दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से ‘शिष्टाचार मुलाकात’ करनी पड़ी और ‘मार्गदर्शन प्राप्त’ करना पड़ा. योगी आदित्यनाथ के दिल्ली जाने के एक दिन पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद भाजपा में शामिल हुए. भाजपा में शामिल होते ही उन्हें बड़े ब्राह्मण नेता के रूप में पेश किया जाने लगा. दिल्ली और लखनऊ में हुई बैठकों और मुलाकतों का निचोड़ यह निकलकर आया है कि भाजपा और आरएसएस का शीर्ष नेतृत्व इस बात को लेकर चिंतित है कि योगी आदित्यनाथ भाजपा विधायकों, सांसदों और मंत्रियों को साथ लेकर नहीं चल रहे हैं. वे सहयोगी दलों की भी उपेक्षा कर रहे हैं.More Related News