कोरोना की तीसरी लहर का बच्चों पर ज्यादा असर होने की आशंका नहीं! सुरक्षित रहेंगे
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स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि तीसरी लहर को लेकर लोग आशंकाएं ना पालें. इस बाबत लगातार शोध और अनुसंधान किए जा रहे हैं. दुनिया के कई देशों के साथ डाटा और अनुभव साझा किए जा रहे हैं.
पिछले दिनों काफी जोर शोर से ये बात उठी कि कोविड की तीसरी लहर आई तो बच्चों पर उसका कहर सबसे ज्यादा हो सकता है. इसके पीछे तथ्य ये दिया गया कि पहली लहर ने बुजुर्गों को अपना निशाना बनाया जबकि दूसरी लहर में युवा वर्ग निशाने पर रहा. इन दो लहरों में बच्चे अपेक्षाकृत महफूज रहे, लिहाजा ऐसा माना गया कि तीसरी लहर में शायद संक्रमण का शिकंजा मासूमों पर ना कस जाए. इस चर्चा के बाद इंडियन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स (IAP) ने सफाई देते हुए कहा कि बच्चों के मजबूत प्राकृतिक रोग प्रतिरोध क्षमता को देखते हुए ये आशंका निर्मूल साबित होगी. बच्चों को कुदरत ही ऐसी क्षमता देती है कि संक्रमण गंभीर नहीं होता, लेकिन उसकी उपेक्षा की जाए तो ये बढ़कर गंभीर हो सकता है. सोमवार को एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने आजतक के प्रश्न पर साफ किया कि अब तक के अनुभव के आधार पर कहा जा सकता है कि दो लहरों की तरह ही तीसरी लहर में भी बच्चों पर कोई गंभीर संक्रमण का शिकार होने की आशंका कम ही है, लेकिन माता-पिता और अभिभावकों को चाहिए कि वो बच्चों पर सुरक्षा घेरा बनाए रखें. साफा सफाई के साथ ही कोविड प्रोटोकोल के तमाम एहतियातों का सख्ती से पालन करें.More Related News
एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना आइजोल शहर के दक्षिणी बाहरी इलाके में मेल्थम और ह्लिमेन के बीच के इलाके में सुबह करीब छह बजे हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि भूस्खलन के प्रभाव के कारण कई घर और श्रमिक शिविर ढह गए, जिसके मलबे के नीचे कम से कम 21 लोग दब गए. अब तक 13 शव बरामद किए जा चुके हैं और आठ लोग अभी भी लापता हैं.