कोटा: 'झूठा सपना दिखाकर सुसाइड के लिए उकसा रहे हैं कोचिंग सेंटर्स', झारखंड की छात्रा की मौत के बाद बोले पासवा अध्यक्ष
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झारखंड प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन (पासवा) प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार ने रिचा (कोटा में मृतक छात्रा का बदला हुआ नाम) की माता से मोबाइल पर बात की है. उन्होंने बताया कि रोते हुए बच्ची की मां ने कहा जिस बच्ची को भविष्य गढ़ने के लिए कोटा भेजा था उस बच्ची का कोटा में अंतिम संस्कार कर और दिल्ली में अस्थियां विसर्जित की है.
राजस्थान के कोटा में छात्र आत्महत्या के मामले थमने के नाम नहीं ले रहे हैं. कई कोशिशों के बाद भी छात्र अपनी जिंदगी दांव पर लगा रहे हैं. ताजा मामला झारखंड की 16 वर्षीय रिचा (बदला हुआ नाम) का है. रिचा ने 13 सितंबर को फंदे से लटकर सुसाइड किया था. रिचा की मौत के बाद झारखंड प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन (पासवा) प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दुबे ने छात्रों की आत्महत्या के पीछे कोचिंग इंस्टीट्यूट्स को जिम्मेदार ठहराया है.
आलोक कुमार दुबे ने कहा कि कोचिंग संस्थान डॉक्टर-इंजीनियर बनने का झूठा सपना दिखाकर पढ़ाई का अनावश्यक दबाव बनाकर बच्चों को आत्महत्या के लिए उकसा रहे हैं. व्यापार को बढ़ाने के लिए 8वीं और 9वीं क्लास के स्कूली बच्चों को भी डॉक्टर और इंजीनियर बनने के नाम पर ठग रहे हैं. कोटा में रांची नामकुम की बच्ची का सुसाइड करना कोचिंग इंस्टीट्यूट की पूरी तरह से भागीदारी है.
रिचा की मां ने रोते हुए बयां किया अपना दर्द पासवा अध्यक्ष ने रिचा की माता से मोबाइल पर बात की है. आलोक कुमार ने बताया कि रोते हुए बच्ची की मां ने कहा जिस बच्ची को भविष्य गढ़ने के लिए कोटा भेजा था उस बच्ची का कोटा में अंतिम संस्कार कर और दिल्ली में अस्थियां विसर्जित की है.
कोचिंग संस्थान बच्चों पर बनाते हैं दबाव: झारखंड प्रदेश पा.स.वा. अध्यक्ष अलोक कुमार ने कहा कि एक ओर बच्चों में पढ़ाई के दबाव को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति के तहत पढ़ाई के दबाव को कम करने के लिए सरकार प्रतिदिन नीतियां तैयार कर रही है, वहीं ये कोचिंग इंस्टीट्यूट बच्चों में कोर्स का अनावश्यक दबाव बनाकर एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा का अनावश्यक दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इसी कारण पिछले दिनों कोटा में सरकार ने कोचिंग इंस्टीट्यूट के द्वारा प्रतिस्पर्धा के नाम पर लिए जाने वाले सभी टेस्ट पर रोक भी लगा दिया था. वास्तव में यदि ध्यान से देखा जाए तो इन कोचिंग संस्थानों से सक्सेस का रेट शून्य प्रतिशत है जो भी बच्चे सफल होते हैं वह खुद के मेहनत से सफल होते हैं.
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कोटा कोचिंग शिक्षकों पर भी उठाए सवाल दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन कोचिंग संस्थानों के शिक्षकों के लिए कोई डिग्री की अनिवार्यता नहीं होती, इसलिए ज्यादातर कोचिंग संस्थानों के शिक्षकों के पास शैक्षणिक डिग्री का भी अभाव होता है. कई बार मैट्रिक और इंटर पास शिक्षक इन कोचिंग संस्थानों में बच्चों को पढ़ते नजर आते हैं. प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दुबे ने कहा कि इन कोचिंग संस्थानों के लिए उनके शिक्षकों के लिए डिग्री का मापदंड तैयार किया जाना चाहिए तथा सरकार को इनके शिक्षकों की डिग्री की भी जांच करनी चाहिए.
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