
कैरेक्टर्स रोल करने पर लोग डराते थे कि कहीं तुम्हारा करियर न डूब जाए, बोले जिमी शेरगिल
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जिमी शेरगिल अपनी अपकमिंग फिल्म ऑपरेशन मेफेयर में एक अलग अंदाज में नजर आने वाले हैं. जिमी बताते हैं, इस फिल्म में उनका किरदार दिलचस्प है. एक कॉल पर उन्होंने स्क्रिप्ट के लिए हामी भरी थी.
बॉलीवुड एक्टर जिमी शेरगिल को इंडस्ट्री में लगभग तीन दशक होने को हैं. माचिस जैसी फिल्म से अपने करियर की शुरुआत करने वाले जिमी के हाथों मोहब्बतें, मेरे यार की शादी है, हासिल, वेडनेसडे जैसी कई फिल्में आईं. जिमी ने अपने करियर में मसाला और सोच प्रेरक फिल्मों के बीच बखूबी बैलेंस बनाकर भी रखा. हालांकि एक बेहतरीन एक्टर होने के बावजूद जिमी का करियर ग्राफ उस ऊंचाई तक नहीं पहुंच पाया है, जितना वो डिजर्व करते हैं. जिमी अपने करियर के इसी उतार-चढ़ाव, बायकॉट कल्चर, फिल्मों के नकली बॉक्स ऑफिस नंबर्स समेत अपनी अपकमिंग फिल्म ऑपरेशन मेयफेयर पर हमसे दिल खोलकर बातचीत करते हैं.
ऑपरेशन मेयफेयर को हामी भरने की क्या खास वजह रही है? - इसके डायरेक्टर सुदीप्तो ने मुझे कोविड के पहले एक स्क्रिप्ट ऑफर की थी, जो मुझे काफी पसंद भी आई थी. पता नहीं किन्हीं कारणों से वो फिल्म बन नहीं पाई. फिर कोविड आकर बस खत्म होने वाला ही था, तो उस दौरान उन्होंने मुझे दूसरी स्क्रिप्ट भेजी, जिसे मैंने पढ़ी, साथ ही कुछ क्लिपिंग भी भेजी और कहा कि यह रियल लाइफ पर बेस्ड है, मुझे यह कहानी भी पसंद आ गई. फिर उसने बताया कि इससे टी-सीरीज जुड़ रही है, हमारे कुछ क्रिएटिव्स डिसकशन हुए. हां, लुक को लेकर भी बहुत कुछ हुआ, इस फिल्म से जुड़ना भी अपने आपमें में एक डेस्टिनी सी रही है.
फिल्म थिएटर पर रिलीज हो रही है. भार आपके कंधे पर है. बतौर एक्टर डर लगता है? -जब कोरोना हुआ, तो पूरा देश परेशान हो गया था. इतनी अनिश्चितता थी कि पता नहीं ये जाएगा कि नहीं जाएगा. धीरे-धीरे चीजें अपने ट्रैक पर आनी शुरू हुईं. उस वक्त हर इंसान परेशान था. जब इंसान परेशान होता है, तो उसे एंटरटेनमेंट का कुछ नहीं सूझता है. लेकिन जैसे-जैसे चीजें आगे बढ़ रही हैं, लोगों को कॉन्फिडेंस भी आ रहा है. काम शुरू हुआ है, पैसे आने लगे हैं, तो चीजें थोड़ी नॉर्मल हुई हैं. अब चीजें नॉर्मल हुई हैं, तो लोगों का मूड अच्छा होता है. मूड अच्छा है, तो लोग अपने एंटरटेनमेंट का जरिया ढूंढता है. मैं डरता नहीं हूं, मुझे यकीन है कि कहानी अच्छी है, लोगों को जरूर पसंद आएगी.
पोस्ट कोरोना बॉक्स ऑफिस के डायनामिक में बदलाव आया है. क्या हिट होगा क्या फ्लॉप, वो कैलकुलेशन लगा पाना अब मुश्किल है? -देखना कुछ महीनों के बाद सबकुछ चलने लग जाएगा. वक्त के साथ चीजें ठीक तो होंगी. हमें यह अहसास करना है कि इंडस्ट्री में जितनी फिल्में चलेंगी, उतनी हमारे लिए अच्छी होंगी. देखो, मैं बड़ी फिल्में नहीं करता हूं, मैं छोटी फिल्मों का एक्टर हूं. अगर बड़ी फिल्में चलती हैं, तो उसका फायदा हमारी छोटी फिल्मों को होता है. उसकी सक्सेस काफी हद तक छोटी फिल्मों को हिम्मत देती है. हालांकि प्रॉब्लम यह कभी रही नहीं है. जो असल दिक्कत है, वो बॉक्स ऑफिस पर आकड़ों का खेल. यह कुछ सालों पहले शुरू हुआ है, यहां लोग दिखावे में अपने आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर बोलने लगे. अरे हमारे तो सौ करोड़ हो गए, अरे हमने तो दो सौ करोड़ कमा लिया है. इसका कोई फायदा नहीं है, इन आकड़ों से कोई भी प्रोड्यूसर पैसे नहीं कमा रहा है. बस आप बैठे-बैठे फालतू का ढिंढोरा पीट रहे हैं. इसके पीछे जो भी है, उसमें मैं नहीं जा रहा हूं. बस बता रहा हूं कि यह आकड़ों का गेम आपको केवल लॉस ही दिलवाएगा.
नतीजतन, आपने इस आकड़ों के गेम को गैंबलिंग बनाकर रख दिया है. आपकी इस महिमामंडित की वजह से हम पर 18 परसेंट की जीएसटी लगती है. अगर रिएलिटी उनको कोई जाकर दिखा दे कि एक प्रोड्यूसर पचास करोड़ फिल्म पर लगा रहा है, तो उसे प्रमोशन पर अलग से पचास करोड़ लगाने होंगे. फिर पूरी कमाई को रिकवर करने के लिए कम से कम दो से ढाई सौ करोड़ फिल्म को बेचना पड़ेगा, तब जाकर कहीं वो इवन में आकर खड़ा होता है. मगर आपने उसी चीज को ऐसे परोस दिया है कि भई यहां तो लोग सिर्फ करोड़ों में कमाते ही हैं. आप सोचो, जो नॉर्मल एक्टर, प्रोड्यूसर और टेक्निशन हैं, उनपर यह 18 परसेंट का टैक्स कितना भारी पड़ता होगा. पहले ही वो 12 परसेंट के सर्विस टैक्स से परेशान थे लेकिन आपके बड़बोलेपन पर हम 18 प्रतिशत टैक्स दे रहे हैं, जो गलत है.
कोरोना के दौरान बायकॉट बॉलीवुड जैसी निगेटिविटी से भी गुजरना पड़ा था. आपने कैसे डील किया? -आंधियां तो आएंगी ही, मगर मेरा कहना यही है कि अगर इस तरह के ट्रेंड से अगर कुछ एक भी अच्छी चीज निकलकर आ जाती, तो मैं बहुत खुश होता. हालांकि इससे एक फायदा तो यही हुआ है कि पूरी इंडस्ट्री एकजुट हुई है. बात वहीं पर वापस आती है कि एक बड़ी फिल्म चलती है, तो कम से कम सात से दस छोटी फिल्मों को फायदा मिलता है.

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