
केजरीवाल पर आज फैसले का दिन... जानिए शराब घोटाले में जांच की पूरी क्रोनोलॉजी, कौन-कौन जेल से बाहर, कौन अंदर?
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सीबीआई ने 26 जून को गिरफ्तार किया था, उस वक्त वो मनी लॉन्ड्रिंग केस में तिहाड़ जेल में बंद थे. सबसे पहले प्रवर्तन निदेशालय ने केजरीवाल को 21 मार्च को उनके सरकारी आवास से गिरफ्तार किया था. 10 दिन की पूछताछ के बाद 1 अप्रैल को उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया.
दिल्ली शराब घोटाले में फंसे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा. केजरीवाल की ओर से दाखिल याचिका में सीबीआई की गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइंया की बेंच ने 5 सितंबर को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. केजरीवाल को अगर आज जमानत मिल जाती है तो वे तिहाड़ जेल से बाहर आ जाएंगे, क्योंकि मनी लॉन्ड्रिंग केस में उन्हें पहले ही सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल चुकी है.
केजरीवाल को सीबीआई ने 26 जून को गिरफ्तार किया था, उस वक्त वो मनी लॉन्ड्रिंग केस में तिहाड़ जेल में बंद थे. सबसे पहले प्रवर्तन निदेशालय ने केजरीवाल को 21 मार्च को उनके सरकारी आवास से गिरफ्तार किया था. 10 दिन की पूछताछ के बाद 1 अप्रैल को उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया. करीब 51 दिन बाद 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने 21 दिन के लिए आम चुनाव में प्रचार के लिए केजरीवाल की रिहाई को मंजूरी दी. सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की एक जून तक की रिहाई मंजूर की थी. 2 जून को केजरीवाल ने तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया था. शुक्रवार यानी 13 सितंबर को केजरीवाल की रिहाई होती है तो कुल जेल गए 177 दिन हो जाएंगे. अगर 21 दिन की रिहाई को कम कर दिया जाए तो केजरीवाल का कुल 156 दिन जेल में रहने का रिकॉर्ड बन जाएगा.
हाईकोर्ट ने खारिज कर दी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका
दरअसल, केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने उनकी सीबीआई गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका कर दी थी और जमानत के लिए निचली अदालत जाने की सलाह दी थी. केजरीवाल ने दोनों ही आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. उन्होंने सीबीआई की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया है और जमानत दिए जाने की मांग की है.
केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में क्या दलीलें दीं?
सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी कर रहे हैं. उन्होंने पिछले दिनों कोर्ट में गिरफ्तारी पर सवाल उठाए थे और कहा था कि सीआरपीसी की धारा 41ए में पूछताछ की नोटिस भेजे बिना सीधे गिरफ्तारी करना गैरकानूनी है और केजरीवाल को रिहाई दी जानी चाहिए. सिंघवी की दलील थी कि सुप्रीम कोर्ट कई फैसले में कह चुका है कि जमानत नियम और जेल अपवाद हैं. चूंकि, केजरीवाल संवैधानिक पद पर हैं, जमानत मिलने पर उनके भागने की संभावना नहीं है. उन्होंने केजरीवाल की गिरफ्तारी को 'बीमा अरेस्ट' ठहराया था. क्योंकि यह गिरफ्तारी ईडी मामले में केजरीवाल की रिहाई से ठीक पहले 26 जून को हुई थी. सिंघवी का कहना था कि मामला अगस्त 2022 का है और दो साल तक गिरफ्तारी नहीं की गई.

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