कुनबे को एकजुट नहीं रख पा रही कांग्रेस! नॉर्थ से लेकर ईस्ट तक इस्तीफों का सिलसिला जारी
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भारत जोड़ो यात्रा और अब भारत जोड़ो न्याय यात्रा के जरिए खोई साख हासिल करने में जुटी कांग्रेस अपने ही नेताओं को जोड़े रखने में विफल नजर आ रही है. यही कारण है कि कांग्रेस के नेता लगातार पार्टी से छिटकते जा रहे हैं, जिसका हालिया उदाहरण राज्यसभा चुनाव में विधायकों की बगावत के रूप में देखने को मिला.
लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी हैट्रिक की तैयारी में जुटी है. वहीं विपक्षी पार्टियों की एक के बाद एक मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं. INDIA गठबंधन को मजबूत करने में जुटी कांग्रेस अब खुद कमजोर ही नजर आ रही है. कांग्रेस के नेता लगातार पार्टी से छिटकते जा रहे हैं, जिसका हालिया उदाहरण हिमाचल के राज्यसभा चुनाव में विधायकों की बगावत के रूप में देखने को मिला. कांग्रेस नॉर्थ से लेकर ईस्ट तक संकट में घिरी नजर आ रही है. यहां के कई राज्यों में पिछले दो दिनों में इस्तीफों का सिलसिला देखने को मिला है.
पहले भारत जोड़ो यात्रा और अब भारत जोड़ो न्याय यात्रा के जरिए खोई साख हासिल करने में जुटी कांग्रेस अपने ही नेताओं को जोड़े रखने में विफल नजर आ रही है. फिर चाहे बात हिमाचल-बिहार की हो या फिर बंगाल-असम की. कांग्रेस के कद्दावर नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम रहे हैं. नेताओं के पार्टी छोड़ने के सवाल पर राहुल गांधी कह चुके हैं कि जो भी जाना चाहता है, वह जा सकता है. उधर, जो नेता पार्टी छोड़ रहे हैं वह कांग्रेस पर अनदेखी और जैसे आरोप लगा रहे हैं.
इस्तीफों का सिलसिला इन चार राज्यों में ही सिमित नहीं है. इससे पहले महाराष्ट्र और झारखंड जैसे राज्यों में भी दलबदल का खेला देखने को मिला था. यहां कांग्रेस के कई कद्दावर नेताओं ने पार्टी छोड़कर बीजेपी जॉइन कर ली. महाराष्ट्र में अशोक चव्हाण और बासवराज पाटिल जैसे बड़े नेताओं का पाला बदलना कांग्रेस के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है. वहीं झारखंड में भी पार्टी की एकलौती सांसद गीता कोड़ा ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया. इसके बाद भी इस्तीफों का सिलसिला जारी है.
असम के कार्यकारी अध्यक्ष का इस्तीफा
बुधवार को ही असम कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ और प्रमुख नेताओं में से एक राणा गोस्वामी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल को भेजे गए अपने इस्तीफे में राणा गोस्वामी ने कहा कि वह पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक सक्रिय सदस्य के रूप में अपना इस्तीफा दे रहे हैं. हालांकि उन्होंने अपने इस्तीफे का कोई कारण नहीं बताया. अब राणा गोस्वामी के भाजपा में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है.
दीदी के विरोध में सिर मुंडवाने वाले नेता का इस्तीफा
वर्ष 2024 में विभिन्न देशों में धुर दक्षिणपंथी पार्टियों के सत्ता हासिल करने में भी वृद्धि देखी गई है. यह प्रवृत्ति वैश्विक राजनीतिक भावनाओं में व्यापक बदलाव को दर्शाती है, जहां राष्ट्रवाद और रूढ़िवादी विचारधाराएं अधिक प्रमुख होती जा रही हैं. ये परिवर्तन घरेलू नीतियों, अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित करेंगे और आर्थिक रणनीतियों से लेकर सुरक्षा तक सबको नया आकार देंगे.
वाकई, 2024 के चुनाव में कितने ही सुखद संयोग बने हैं. अमृतकाल के इस प्रथम लोकसभा चुनाव में मैंने प्रचार अभियान 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणास्थली मेरठ से शुरू किया. मां भारती की परिक्रमा करते हुए इस चुनाव की मेरी आखिरी सभा पंजाब के होशियारपुर में हुई. संत रविदास जी तपोभूमि, हमारे गुरुओं की भूमि पंजाब में आखिरी सभा होने का सौभाग्य भी बहुत विशेष है. इसके बाद मुझे कन्याकुमारी में भारत माता के चरणों में बैठने का अवसर मिला.
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एग्जिट पोल का अनुमान बताता है कि बीजेपी और महायुति को जितनी सीटों पर जीतने की उम्मीद थी, वो पूरी होती नहीं दिख रही है. एग्जिट पोल में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से बीजेपी को 20-22, कांग्रेस को 3-4, शिवसेना (ठाकरे गुट) को 9-11, शिवसेना (शिंदे गुट) को 8-10, एनसीपी (शरद पवार) को 4-5 और एनसीपी (अजित पवार) को 1-2 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है.