किसी भी कीमत पर घुटने टेकने को तैयार नहीं 'पंजशीर का शेर', तालिबान को दो टूक- नहीं करूंगा सरेंडर
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तालिबान द्वारा चार घंटों का अल्टीमेटम दिए जाने के बाद अहमद मसूद ने कहा है कि वह सरेंडर नहीं करेंगे. उन्होंने कहा है कि हमने सोवियत संघ की सेना से टक्कर ली है और अब तालिबान की सेना से ले रहे हैं.
अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से 33 प्रांतों पर तालिबान के लड़ाकों ने पूरी तरह से कब्जा जमा लिया है. अब सिर्फ पंजशीर ही इकलौता प्रांत है, जहां पर तालिबान का राज नहीं है, लेकिन वहां पर भी उसने अपनी दस्तक दे दी है. बीते दिन तालिबान के कई सौ लड़ाके पंजशीर पहुंच गए थे. पंजशीर का शेर कहे जाने वाले अहमद मसूद से तालिबान को कड़ी टक्कर मिल रही है. मसूद और खुद को अफगानिस्तान का केयरटेकर राष्ट्रपति घोषित कर चुके अमरुल्ला सालेह ने तालिबान के खिलाफ रणनीति बना ली है. हालांकि, तालिबान ने अहमद मसूद को सरेंडर करने के लिए चार घंटों का समय दिया है, लेकिन उन्होंने दो टूक ऐसा करने से इनकार कर दिया.नवाज शरीफ ने 25 साल बाद एक गलती स्वीकार की है. ये गलती पाकिस्तान की दगाबाजी की है. 20 फरवरी 1999 को दिल्ली से जब सुनहरी रंग की 'सदा-ए-सरहद' (सरहद की पुकार) लग्जरी बस अटारी बॉर्डर की ओर चली तो लगा कि 1947 में अलग हुए दो मुल्क अपना अतीत भूलाकर आगे चलने को तैयार हैं. लेकिन ये भावना एकतरफा थी. पाकिस्तान आर्मी के मन में तो कुछ और चल रहा था.
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