कश्मीर में जी-20 से चिढ़ा पाकिस्तान, फिर अलापा जनमत संग्रह का राग
AajTak
भारत द्वारा श्रीनगर में जी-20 की टूरिज्म वर्किंग कमेटी की बैठक कराने से पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. पाकिस्तान का कहना है कि भारत ने जम्मू कश्मीर में इस बैठक की मेजबानी करके, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों और अंतर्राष्ट्रीय कानून की अवहेलना की है.
भारत ने हाल ही में कश्मीर में जी-20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की मीटिंग की मेजबानी की है, इसे लेकर पाकिस्तान चिढ़ा हुआ है. पाकिस्तान ने कश्मीर में हुई मीटिंग को लेकर कहा कि वह भारत के इस कदम को पूरी तरह से खारिज करता है. भारत द्वारा कश्मीर में जी20 बैठक आयोजित करने का पाकिस्तान ने विरोध किया है. साथ ही श्रीनगर बैठक में (आधिकारिक रूप से) भाग नहीं लेने के लिए चीन, सऊदी अरब, तुर्की, मिस्र और ओमान की सराहना भी की है.
पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर को बताया विवादित क्षेत्र पाकिस्तान का कहना है कि जम्मू और कश्मीर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादित क्षेत्र के तौर पर जाना जाता है. यह विवाद सात दशकों से अधिक समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एजेंडे में बना हुआ है. ऐसे में भारत ने जम्मू कश्मीर में इस बैठक की मेजबानी करके, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों और अंतर्राष्ट्रीय कानून की अवहेलना की है.
जी-20 कराना कश्मीर के लोगों के साथ विश्वासघात पड़ोसी मुल्क ने यह भी कहा कि विवादित क्षेत्र में जी-20 की बैठक आयोजित करना जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ विश्वासघात है. पिछले सात दशकों से, वे इस ओर अंतर्राष्ट्रीय समुदायों का ध्यान खींचने की कोशिश कर रहे हैं ताकि इस कब्जे से लोगों की दुर्दशा पर उनका ध्यान जाए और यहां जो मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है, वह समाप्त हो सके. स्थानीय आबादी को बंधक बनाकर और उन्हें उनके अधिकारों और स्वतंत्रता से वंचित करके पर्यटन और विकास को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है. श्रीनगर में जी-20 की बैठक आयोजित करके भारत जम्मू-कश्मीर पर अपने अवैध कब्जे और कश्मीरी लोगों के उत्पीड़न की वास्तविकता को नहीं छिपा सकता है. कश्मीर में सबसे अधिक सेना का कब्जाः पाकिस्तान पाकिस्तान का कहना है कि कश्मीर में सामान्य स्थिति का भारत का झूठ इस बात से उजागर होता है, कि पूरे ग्रह पर जम्मू-कश्मीर वो जगह है, जहां सबसे अधिक सेना का कब्जा है. सुरक्षा के अतिशय बंदोबस्त, मनमाने तरीके से हो रहीं गिरफ्तारियां और स्थानीय आबादी का हो रहा उत्पीड़न, वह भी उस जगह जहां, श्रीनगर में बैठक की जा रही है, यह सब सामान्य स्थिति के दावों का खंडन करता है.
जी-20 में शामिल न होने वाले देशों की सराहना की भारत सामान्य स्थिति के लिबास के पीछे जम्मू-कश्मीर में वास्तविकता को छिपाने में स्पष्ट रूप से विफल रहा है. यह सब निम्न-स्तर के प्रतिनिधित्व और श्रीनगर में हुई बैठक से कई महत्वपूर्ण लोगों के नदारद रहने से स्पष्ट होता है. उन्होंने कहा कि 'हम श्रीनगर बैठक में शामिल नहीं होने के लिए पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना, सऊदी अरब साम्राज्य, तुर्की गणराज्य, मिस्र अरब गणराज्य और ओमान सल्तनत की बहुत सराहना करते हैं. ये देश अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर की प्रधानता के लिए खड़े हुए हैं. भारत पर मढ़े ये आरोप G-20 की स्थापना मुख्य रूप से वैश्विक वित्तीय और आर्थिक मुद्दों को संबोधित करने के लिए की गई थी. कब्जे वाले क्षेत्र में इस बैठक को आयोजित करके, भारत ने अभी तक एक और अंतरराष्ट्रीय मंच का राजनीतिकरण किया है, और अपने स्वार्थी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए वर्तमान अध्यक्ष के रूप में अपनी स्थिति का फायदा उठा रहा है. जनमत संग्रह का राग अलापा भारत को इसके बजाय जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर रिपोर्ट करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मीडिया और स्वतंत्र मानवाधिकार संगठनों की पहुंच आसान बनानी चाहिए. उसे अपने द्वारा वहां फैलाए गए दमन का अंत करना चाहिए, संयुक्त राष्ट्र जांच आयोग की स्थापना के लिए सहमत होना चाहिए और कश्मीर के लोगों के लिए अपने स्वयं के भविष्य का निर्धारण करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह आयोजित करना चाहिए. पाकिस्तान, अपनी ओर से, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्तावों में निहित आत्मनिर्णय के अपने अयोग्य अधिकार की प्राप्ति के लिए कश्मीरी लोगों के न्यायोचित संघर्ष को अपना नैतिक, कूटनीतिक और राजनीतिक समर्थन देना जारी रखेगा.
जम्मू के रियासी जिला अस्पताल में आतंकी हमले के बाल बच्चे भर्ती हैं. इन मासूम बच्चों को देखकर किसी का भी कलेजा फट सकता है. आतंकवादियों ने जो बर्बरता की है, उसके प्रमाण आप देख सकते हैं. श्रद्धालुओं ने जब आतंकवादी हमले की कहानी सुनाई, तो दिल दहल गया. आप उन आतंकवादियों की बर्बरता का अंदाजा नहीं लगा सकते.
महाराष्ट्र के ठाणे में ठगों ने यूपी पुलिस का अधिकारी बनकर एक कारोबारी को करीब 20 लाख रुपये का चूना लगा दिया. ठगों ने कारोबारी को मनी लॉन्ड्रिंग के केस में फंसाने की धमकी दी थी और गिरफ्तारी से बचने के लिए पैसों की मांग की थी. पैसे देने के बाद जब कारोबारी ने लखनऊ में फोन कर यूपी पुलिस थाने में जानकारी ली तो उसे पता चला कि उसके खिलाफ कोई केस ही नहीं है.