कर्नाटक: पुलवामा हमले का जश्न मनाने के आरोप में छात्र को यूएपीए के तहत 5 साल की क़ैद
The Wire
आरोप है कि 21 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्र फ़ैज़ रशीद ने आतंकवादी हमले का जश्न मनाते हुए सेना का मज़ाक उड़ाया था और विभिन्न मीडिया संस्थानों की पोस्ट पर 23 टिप्पणियां की थीं. अदालत ने रशीद को आईपीसी की धारा धारा 153ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) के तहत भी दोषी पाया.
फैज रशीद ने आतंकवादी हमले के बाद कई फेसबुक पोस्ट पर अपमानजनक टिप्पणी की थी. आरोपी ने एक या दो बार अपमानजनक टिप्पणी नहीं की है. उन्होंने फेसबुक पर सभी न्यूज चैनलों द्वारा किए गए सभी पोस्ट पर कमेंट किए. इसके अलावा वह एक अनपढ़ या सामान्य व्यक्ति नहीं थे. अपराध किए जाने के समय वह इंजीनियरिंग का छात्र थे और उन्होंने अपने फेसबुक एकाउंट पर जान-बूझकर पोस्ट और टिप्पणियां कीं. आरोपी ने अपनी टिप्पणियों में राम मंदिर का मुद्दा उठाया, जो हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं को भड़काता है. उन्होंने यह भी टिप्पणी की है कि एक मुसलमान 40 व्यक्तियों के बराबर होता है और मुस्लिम लड़के हमेशा मजाकिया होते हैं. आगे यह दिखाने के लिए सबूत हैं कि हिंदू समुदाय के लोगों ने आरोपी द्वारा की गईं टिप्पणियों से आहत होकर अपमानजनक टिप्पणी की थी.
एडिशनल सिटी सिविल एंड सेशन न्यायाधीश [राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायाधीश] गंगाधर सीएम ने यह आदेश सुनाया. उन्होंने महान आत्माओं की हत्या के बारे में खुशी महसूस की और महान आत्माओं की मृत्यु का ऐसे जश्न मनाया, जैसे कि वह भारतीय नहीं थे. इसलिए आरोपी द्वारा किया गया अपराध इस महान राष्ट्र के खिलाफ और प्रकृति में जघन्य है.
फैज रशीद 2019 में एक छात्र था और तब उसकी उम्र 19 साल थी. वह करीब साढ़े तीन साल से हिरासत में है.
अदालत ने रशीद को धारा 153ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) और धारा 201 (सबूतों को मिटाना) के तहत दोषी पाया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद उसके खिलाफ धारा 124ए (राजद्रोह) के तहत मुकदमा नहीं चलाया गया.