कभी सोने की खदान रहा KGF आज है खंडहर, Yash की फिल्म रिलीज से पहले जानें केजीएफ का इतिहास
AajTak
रॉकिंग स्टार यश और संजय दत्त स्टारर फिल्म केजीएफ चैप्टर 2, 14 अप्रैल को आने वाली है. केजीएफ का पूरा नाम कोलार गोल्ड फील्ड्स है. ये कर्नाटक के दक्षिण पूर्व इलाके में स्थित एक जगह है. इस जगह का इतिहास बहुत पुराना और दिलचस्प रहा है. आज हम आपको इसी के बारे में बता रहे हैं.
रॉकिंग स्टार यश और संजय दत्त स्टारर फिल्म केजीएफ चैप्टर 2 जल्द आने वाली है. इस फिल्म में केजीएफ और रॉकी भाई के उसपर राज की कहानी को दिखाया जाने वाला है. फिल्म में रॉकी की टक्कर अधीरा से होगी, जो अपने केजीएफ को वापस लेने आ रहा है. इस फिल्म का पहला पार्ट 2018 में रिलीज हुआ था और तभी से सीक्वल का इंतजार फैंस कर रहे हैं. ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि केजीएफ की असली कहानी क्या है.
क्या है केजीएफ का असली इतिहास
केजीएफ का पूरा नाम कोलार गोल्ड फील्ड्स है. ये कर्नाटक के दक्षिण पूर्व इलाके में स्थित एक जगह है. बेंगलुरू के पूर्व में मौजूद बेंगलुरू-चेन्नई एक्सप्रेसवे से 100 किलोमीटर दूर केजीएफफ टाउनशिप है. इस जगह का इतिहास बहुत पुराना और दिलचस्प रहा है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1871 में ब्रिटिश सैनिक माइकल फिट्जगेराल्ड लेवेली ने 1804 में एशियाटिक जर्नल में छपे चार पन्नों का एक आर्टिकल पढ़ा था. उसमें कोलार में पाए जाने वाले सोने के बारे में बताया गया था. इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद कोलार में लेवेली की दिलचस्पी बढ़ी थी. इस टॉपिक को पढ़ते हुए लेवेली के हाथों ब्रिटिश सरकार के लेफ्टिनेंट जॉन वॉरेन का एक आर्टिकल लगा. लेवेली को मिली जानकारी के अनुसार, 1799 की श्रीरंगपट्टनम की लड़ाई में अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान को मारने के बाद कोलार और उसके आसपास के इलाके पर अपना कब्जा जमा लिया था. उसके कुछ समय बाद अंग्रेजों ने यह जमीन मैसूर राज्य को दे दी. हालांकि कोलार की जमीन को सर्वे के लिए उन्होंने अपने पास ही रख लिया था.
चोल साम्राज्य में लोग जमीन को हाथ से खोदकर ही सोना निकालते थे. वॉरेन ने सोने के बारे में उन्हें जानकारी देने वालों को ईनाम देने की घोषणा की थी. उस घोषणा के कुछ दिन बाद एक बैलगाड़ी में कुछ गांव वाले वॉरेन के पास आए. उस बैलगाड़ी में कोलार इलाके की मिट्टी लगी हुई थी. गांववालों ने वॉरेन के सामने मिट्टी धोकर हटाई, तो उसमें सोने के अंश पाए गए. वॉरेन ने फिर इसकी पड़ताल शुरू की. तो उन्हें पता चला कि कोलार के लोगों के हाथ से खोदकर सोना निकालने की वजह से 56 किलो मिट्टी से जरा सा ही सोना निकाल पता है. ऐसे में उन्होंने सुझाया कि तकनीक की मदद से और भी सोना निकाला जा सकता है.
मुंह पर टैटू, लंबी चोटी, 25 किलो का कवच, KGF Chapter 2 के 'अधीरा' बनने में Sanjay Dutt को लगते थे इतने घंटे