
कब इंसान के लिए मुश्किलें खड़ी करता है गुरु-चांडाल योग, उपाय भी जान लें
AajTak
अगर कुंडली में राहु बृहस्पति एक साथ हों तो यह योग बन जाता है. दृष्टि से यह योग बिल्कुल नहीं बनता है. कुंडली में कहीं भी यह योग बनता हो हमेश नुकसान ही करता है. अगर यह लग्न, पंचम या नवम भाव में हो तो विशेष नकारात्मक होता है.
ज्योतिष में नकारात्मक योग भी होते हैं और शुभ योग भी. सबसे बड़े नकारात्मक योगों में से एक योग 'गुरु-चांडाल' योग है. अगर कुंडली में राहु बृहस्पति एक साथ हों तो यह योग बन जाता है. दृष्टि से यह योग बिल्कुल नहीं बनता है. कुंडली में कहीं भी यह योग बनता हो हमेशा नुकसान ही करता है. अगर यह लग्न, पंचम या नवम भाव में हो तो विशेष नकारात्मक होता है. गुरु-चांडाल योग का अगर समय पर उपाय न किया जाए तो कुंडली के तमाम शुभ योग भंग हो जाते हैं. गुरु चांडाल योग का प्रभाव क्या है? यह व्यक्ति के शुभ गुणों को घटा देता है और नकारात्मक गुण बढ़ा देता है. अक्सर यह योग होने से व्यक्ति का चरित्र कमजोर होता है. इस योग के होने से व्यक्ति को पाचन तंत्र, लिवर की समस्या और गंभीर रोग होने की सम्भावना बनती है. कभी-कभी यह कैंसर का कारण भी बन जाता है. साथ ही व्यक्ति धर्मभ्रष्ट हो जाता है. अपयश का सामना करना पड़ता है. अगर किसी महिला की कुंडली में यह योग हो तो वैवाहिक जीवन नरक बन जाता है. गुरु चांडाल योग कब काम नहीं करता? अगर व्यक्ति का बृहस्पति उच्च राशि में हो तो गुरु चांडाल योग काम नहीं करता है. इसके अलावा अगर राहु गुरु के साथ कोई और ग्रह भी हो, बृहस्पति अस्त हो या वक्री हो, किसी सद्गुरु की कृपा हो तो ये योग काम नहीं करता है. गुरु चांडाल योग के प्रभाव को समाप्त करने के उपाय हमेशा बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें. नियमित रूप से किसी भी धर्म स्थान या मंदिर में जाते रहें. नित्य प्रातः गायत्री मंत्र का हल्दी की माला से 108 बार जाप करें. गले में सोने या पीतल का चौकोर टुकड़ा धारण करें. पार्क, मन्दिर और सड़कों पर पीपल के पौधे लगवाएं. मांसाहारी भोजन से परहेज करें.
Surya Mangal Yuti 2025: 16 दिसंबर को धनु राशि में बनेगी सूर्य-मंगल की युति, इन राशियों को होगा फायदा
Surya Mangal Yuti 2025: धनु राशि में बन रही सूर्य-मंगल की शक्तिशाली युति कई राशियों के जीवन में नई ऊर्जा, बदलाव और नए अवसर लेकर आ रही है. करियर, धन, रिश्ते और आत्मविश्वास से जुड़े मामलों में भी बड़ा सुधार देखने को मिल सकता है.

क्या आपने कभी गौर किया है कि दुनिया का कोई भी बड़ा नेता-चाहे वह अमेरिकी राष्ट्रपति हो या फ्रांस का प्रमुख भारत पहुंचते ही सबसे पहले हैदराबाद हाउस ही क्यों जाता है? इसकी वजह सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि एक ऐसा शाही अतीत है जिसमें निजाम की रईसी, ब्रिटिश दौर की राजनीतिक जटिलताएं और आजादी के बाद भारत की उभरती कूटनीतिक पहचान तीनों के निशान गहराई से दर्ज हैं.











