
एक हफ्ते में पेट्रोल 60 रुपये हुआ महंगा, फिर भी शेखी बघार रहा पाकिस्तान
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स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के कार्यवाहक गवर्नर का कहना है कि पाकिस्तान श्रीलंका नहीं है और न ही उसकी हालत श्रीलंका जैसी हो रही है. उनका कहना है कि श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर आधारित है और कोविड ने उसकी अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया. उन्होंने पाकिस्तान सरकार का बचाव किया है और कहा है कि पाकिस्तान ने कोविड को ठीक ढंग से संभाला है.
पाकिस्तान आर्थिक कंगाली झेल रहा है और उसका विदेशी मुद्रा भंडार खाली होने के कगार पर है. विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के कारण पाकिस्तान अपने कर्जों को चुका पाने की स्थिति में भी नहीं है. विशेषज्ञ कह रहे हैं कि अगर पाकिस्तान को जल्द ही विदेशों से आर्थिक मदद नहीं मिली तो वो श्रीलंका की तरह दिवालिया हो जाएगा. लेकिन पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) के कार्यवाहक गवर्नर मुर्तजा सैयद का कहना है कि पाकिस्तान श्रीलंका नहीं है और न ही उसकी स्थिति श्रीलंका के जैसी हो रही है.
श्रीलंका 1948 में अपनी आजादी के बाद से अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है. देश में विदेशी मुद्रा का भंडार खाली हो गया है जिससे वो भोजन, ईंधन, दवाओं आदि आवश्यक वस्तुओं का आयात नहीं कर पा रहा है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष भी सरकारी राजस्व बढ़ाने की शर्त पर ही लोन देने की बात कही है. यही वजह है कि पाकिस्तान में पेट्रोल के दामों में एक हफ्ते के भीतर ही 60 रुपये की बढ़ोतरी हो चुकी है.
पाकिस्तान के अखबार, डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका से पाकिस्तान की तुलना किए जाने को लेकर SBP के गवर्नर ने पाकिस्तान की सरकार का बचाव किया. उन्होंने कहा कि उनका देश श्रीलंका नहीं है.
मुर्तजा सैयद ने कहा, 'इसमें कोई संदेह नहीं है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चुनौतियों का सामना कर रही है और कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं कोविड के बाद आवश्यक सामानों की ऊंची कीमतों के कारण मुश्किल में हैं. श्रीलंका उनमें से एक है. श्रीलंका ने सही ढंग से प्रबंधन नहीं किया और देर से कुछ गलत फैसले लिए. देर से लिए गए गलत फैसलों ने देश के लिए मुश्किलें पैदा कर दीं.'
उन्होंने आगे कहा, 'पाकिस्तान श्रीलंका नहीं है. कोविड के कारण श्रीलंका को पर्यटन से होने वाली आय बंद हो गई. श्रीलंका की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था चुनौतियों से लड़ने में विफल रही. दो साल तक उन्होंने बजट घाटे को बढ़ने दिया जिससे चालू खाते पर दबाव बढ़ा. उन्होंने दो साल तक ब्याज दर नहीं बढ़ाई.'
उन्होंने आगे कहा, 'दो साल के लिए श्रीलंका ने मुद्रा विनिमय दर को नहीं बदला. इसका मतलब ये हुआ कि वे विनिमय दर को वांछित स्तर पर रखने के लिए अपने मुद्रा भंडार का उपयोग कर रहे थे. इस कारण अंततः चालू खाता घाटा बहुत अधिक हुआ और उनका विदेशी मुद्रा भंडार समाप्त हो गया.'

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