इस एक्टर पर बेस्ड है 'जुबली' का जमशेद खान? जिसकी नाकाम मोहब्बत ने अशोक कुमार को दिलाया स्टार बनने का मौका!
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अमेजन प्राइम की सीरीज 'जुबली' को दर्शक बहुत पसंद कर रहे हैं. शो की पूरी कहानी जमशेद और सुमित्रा की लव स्टोरी पर टिकी है, जो 50 के दशक में अपने पैर जमा रही फिल्म इंडस्ट्री को हिला कर रख देती है. शो का ये प्लॉट, हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की एक रियल लव स्टोरी से प्रेरित लगता है. आइए आपको बताते हैं उस रियल कहानी के बारे में.
गालियां वैसे तो काफी घिनौनी चीज होती हैं. तब और भी ज्यादा अगर वो किसी की मां या बहन को संबोधित हों. गालियों का एक मनोविज्ञान ये भी है कि जब कोई व्यक्ति एक इमोशन को उस लेवल पर महसूस करने लगता है, जिसे दिमाग की नैतिक हदों के भीतर सूझने वाले शब्दों में पिरोना थोड़ा भारी टास्क हो जाए, तो वो झट से गाली दे देता है. ये इमोशन गुस्सा भी हो सकता है, हैरानी भी, शॉक भी और दोस्तों के मामले में प्यार भी!
एक फिल्म स्टूडियो की लैब में काम करने वाले बिनोद दास (अपारशक्ति खुराना) का सुपरस्टार मदन कुमार बन जाना, सरप्राइज और शॉक का वही लेवल है जहां फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की सारी समझ जवाब दे जाती है. अमेजन प्राइम के शो 'जुबली' में मदन कुमार के नाम के साथ बार-बार एक गाली दी जाती है. इतनी बार कि कुछ देर बाद लगने लगता है कि ये गाली कहीं मदन कुमार का सरनेम ही तो नहीं! बिनोद का मदन कुमार बनना 'जुबली' की कहानी का सबसे दिलचस्प एंगल है. अमेजन प्राइम का शो 'जुबली', जिसकी चर्चा आपको इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी देखने को मिल जाएगी. मगर इस पूरे शो की कहानी अगर किसी एक पॉइंट से शुरू होती है, तो वो है- जमशेद खान.
जुबली और जमशेद 'जुबली' की कहानी रॉय टॉकीज से शुरू होती है. श्रीकांत रॉय (प्रसनजीत चैटर्जी) का फिल्म स्टूडियो, जो पहले ये तय करता है कि उसके अगले स्टार का नाम मदन कुमार होगा. और फिर मदन कुमार बनाने लायक एक्टर की तलाश शुरू होती है. इस खांचे में उन्हें एक दमदार एक्टर मिलता तो है, लेकिन यहां कहानी में ट्विस्ट आ जाता है.
स्टूडियो में रॉय साहब की पार्टनर, उनकी पत्नी और फीमेल स्टार सुमित्रा कुमारी (अदिति रॉय हैदरी) को उस एक्टर से प्यार हो जाता है. वो एक्टर है जमशेद खान (नंदीश संधू). 1940-50 के दशक में ये महज एक लव अफेयर नहीं कहा जा सकता. तब ये स्कैंडल था. ऐसा स्कैंडल जो 'जुबली' की कहानी में पूरी फिल्म इंडस्ट्री को बदलता दिखता है. लेकिन सबसे पहले बदलता है मदन कुमार. अब इस स्टार इमेज में जमशेद खान नहीं, बिनोद दास है. जमशेद की ही कहानी से एक और स्टार जय खन्ना (सिद्धांत गुप्ता) फोकस में आता है. जमशेद की कहानी से ही निकलकर निलोफर बी (वामिका गब्बी) पर्दे पर आती हैं. लेकिन ये जमशेद खुद कहानी में खो जाता है.
'जुबली' से मेल खाती रियलिटी और अशोक कुमार विक्रमादित्य मोटवाने का शो 'जुबली' आजादी के कुछ साल पहले और कुछ साल बाद की हिंदी फिल्म इंडस्ट्री पर बेस्ड है. मोटवाने खुद एक बेहतरीन फिल्ममेकर होने के साथ-साथ, बड़े फिल्म फैन भी हैं. तो उनके शो की कहानी में रियलिटी के शेड भला कैसे नहीं आते. 'जुबली' के मुख्य किरदारों में से एक मदन कुमार उर्फ बिनोद दास की कहानी का एक हिस्सा, रियल लाइफ के स्टार रहे अशोक कुमार की कहानी से बहुत इंस्पायर्ड मालूम होता है.
शो में दिखाए गए रॉय टॉकीज की तरह, उस वक्त की फिल्म इंडस्ट्री में बॉम्बे टॉकीज बहुत बड़ा स्टूडियो था. स्टूडियो चलाने वाले हिमांशु राय और देविका रानी का नाम, इंडियन सिनेमा को खड़ा करने वाले पिलर्स के तौर पर लिया जाता है. इसी बॉम्बे टॉकीज में कुमुदलाल कुंजीलाल गांगुली एक लैब असिस्टेंट थे. हिमांशु राय अपने स्टूडियो के लिए एक नया चेहरा तलाश रहे थे. शर्त ये थी कि उसे बहुत हैंडसम नहीं होना चाहिए, बल्कि जितना साधारण हो उतना अच्छा. ताकि उसे हीरो बनाकर एक 'एवरेज' हिंदुस्तानी की कहानी पर्दे पर कही जा सके.