
इस्लाम अपना लो, सारी मुश्किलें हो जाएंगी खत्म, जब सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाचेव को ईरान के सुप्रीम लीडर ने भेजा पत्र
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सोवियत संघ के गिरने से करीब दो साल पहले ईरान के तत्कालीन सुप्रीम नेता अयातुल्लाह रुहोल्ला खुमैनी ने संघ के आखिरी नेता मिखाइल गोर्बाचेव को पत्र लिखकर इस्लाम अपनाने की सलाह दी थी. ईरान से एक डेलिगेशन खुमैनी का संदेश से लेकर मास्को पहुंचा था.
सोवियत संघ के पतन से करीब दो साल पहले ईरान के पूर्व सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह रुहोल्ला खुमैनी ने यूएसएसआर के आखिरी नेता मिखाइल गोर्बाचेव को पत्र भेजकर इस्लाम कबूल करने की अपील की थी. बीते मंगलवार को मिखाइल गोर्बाचेव ने 91 साल की उम्र में अपनी अंतिम सांस ली. उनके निधन पर दुनिया भर के नेताओं ने शोक व्यक्त किया.
यूएसएसआर नेता मिखाइल गोर्बाचेव को साल 1989 में ईरान के तत्कालीन सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खुमैनी की ओर से एक चौंकाने वाला पत्र मिला था. इस पत्र को खुमैनी ने ईरानी डेलिगेशन के साथ मॉस्को भेजा था.
खुमैनी ने पत्र में लिखा था कि यह सभी को साफ है कि कम्युनिज्म की जगह दुनिया के पॉलिटिकल हिस्ट्री म्यूजियम के अंदर है, क्योंकि मार्क्सवाद मानवता की असली जरूरतों को पूरा नहीं करता है. ईरान की सुप्रीम लीडर खुमैनी ने यह लेटर मिखाइल को इसलिए भेजा, क्योंकि उनका मानना था कि जबसे गोर्बाचेव ने यूएसएसआर की कमान संभाली है, तबसे सोवियत संघ बदलाव के दौर में है.
खुदा में विश्वास की कमी से हो रहा पश्चिम का पतन खुमैनी ने पत्र में लिखा कि आपको सच का सामना करना चाहिए. आपके देश की मुख्य परेशानी संपत्ति, अर्थव्यवस्था या आजादी नहीं है, बल्कि खुदा में विश्वास की कमी है. इसी परेशानी ने पश्चिमी देशों को पतन पर लाकर खड़ा कर दिया है.
ईरान के सुप्रीम नेता ने पत्र में आगे कहा कि कम्युनिज्म का कोई भविष्य नहीं है, क्योंकि यह एक भौतिकवादी पाठशाला है. ये इंसान को नास्तिकता के संकट से बचाने में सक्षम नहीं है. यही पूर्व और पश्चिम में मानव समाज की सबसे बड़ी त्रासदी है. ईरानी सुप्रीम लीडर खुमैनी के अनुसार, सिर्फ इस्लाम ही इस समस्या का हल है. इस खत को लिखने के पांच महीने बाद ही खुमैनी का निधन हो गया था.
खुमैनी की मिखाइल को इस्लाम को पढ़ने की सलाह खुमैनी ने पत्र में मिखाइल को इस्लाम को गंभीरता से पढ़ने के लिए कहा. खुमैनी ने लिखा था, इस्लाम के जो सर्वोच्च मूल्य हैं, उनके जरिए दुनिया के सभी देशों के लिए मुक्ति का रास्ता खुल जाएगा और मानवता की मूल परेशानियों का हल मिल जाएगा.

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