असम-बंगाल से केरल तक कांग्रेस का सफाया, क्या राहुल-प्रियंका के लिए खड़ी होंगी चुनौतियां?
AajTak
राहुल गांधी केरल तो प्रियंका गांधी ने असम में केंद्रित कर रखा था. ऐसे में असम और केरल तमाम संभावनाओं के बावजूद पार्टी की शिकस्त ने राहुल-प्रियंका के नेतृत्व व रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं. पार्टी में उठते विद्रोह और बढ़ते असंतोष के बीच कांग्रेस की हार ने बागी नेताओं को गांधी परिवार के खिलाफ मोर्चा खोलने का मौका दे दिया है.
देश के पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस अपनी हार के सिलसिले को तोड़ने में नाकाम साबित हो रही है, जिसके चलते पार्टी का हाथ एक बार फिर से खाली रह गया. राहुल गांधी ने केरल तो प्रियंका गांधी ने असम में अपना ध्यान केंद्रित कर रखा था. ऐसे में असम और केरल में तमाम संभावनाओं के बावजूद पार्टी की शिकस्त ने राहुल-प्रियंका के नेतृत्व व रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं. पार्टी में उठते विद्रोह और बढ़ते असंतोष के बीच कांग्रेस की हार ने बागी नेताओं को गांधी परिवार के खिलाफ मोर्चा खोलने का मौका दे दिया है. पांच राज्यों की चुनावी रणनीति का संचालन पूरी तरह कांग्रेस के मौजूदा नेतृत्व और उनके करीबी पार्टी रणनीतिकारों के हाथ में ही रहा. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी केरल के वायनाड से सांसद होने के चलते विधानसभा चुनाव में उनकी साख दांव पर लगी थी. इसीलिए राहुल ने सबसे ज्यादा फोकस केरल के चुनाव प्रचार पर रखा था जबकि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने खुद को असम के प्रचार में लगा रखा था. हालांकि पांच राज्यों में से इन दोनों ने मुख्यतः खुद को दो राज्यों पर ही केंद्रित रखा. इसके बावजूद गांधी परिवार के दोनों नेता अपने-अपने राज्य में कामयाब नहीं रहे. कांग्रेस नेतृत्व सत्ता विरोधी माहौल के बाद भी जनमत को लुभाने में कामयाब नहीं हुआ.हिट एंड रन की ये घटना 19 मई की है. पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 साल आठ महीने के बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई थी. इस घटना के 14 घंटे बाद नाबालिग आरोपी को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी. हालांकि बाद में आरोपी को फिर से कस्टडी में लेकर जुवेनाइल सेंटर भेज दिया गया.
एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना आइजोल शहर के दक्षिणी बाहरी इलाके में मेल्थम और ह्लिमेन के बीच के इलाके में सुबह करीब छह बजे हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि भूस्खलन के प्रभाव के कारण कई घर और श्रमिक शिविर ढह गए, जिसके मलबे के नीचे कम से कम 21 लोग दब गए. अब तक 13 शव बरामद किए जा चुके हैं और आठ लोग अभी भी लापता हैं.