...अब पंजाबी पहचान पर जोर! दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष पद पर बीजेपी के प्रयोग जारी
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केंद्र से लेकर देश के कई राज्यों में अपना डंका बजाने वाली बीजेपी के लिए दिल्ली में सूखा पड़ा है. साल 2013 में दिल्ली के सियासी नक्शे पर उभरे आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को टक्कर देने के लिए बीजेपी को एक के बाद एक कई प्रदेश अध्यक्ष बदलने का प्रयोग करना पड़ा, लेकिन उसका भी कोई फायदा उसे नहीं मिल सका. ऐसे में अब बीजेपी ने पंजाबी कार्ड खेला है.
दिल्ली में बीजेपी करीब ढाई दशक से सत्ता का वनवास झेल रही है. 15 सालों से काबिज नगर निगम भी अब उसने गंवा दिया है. इसका ठीकरा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता पर फूटा और उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. आदेश गुप्ता की जगह अब पार्टी ने वीरेंद्र सचदेवा को दिल्ली में संगठन की कमान सौंपी है. उनकी नियुक्ति के साथ ही बीजेपी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष पद पर प्रयोग के सिलसिले में एक नई कड़ी जोड़ दी है. ब्राह्मण, पूर्वांचली, वैश्य समुदायों से आए नेताओं से निराश पार्टी ने अब पंजाबी नेता पर दांव खेला है.
सचदेवा को कमान ऐसे समय सौंपी गई है जब दिल्ली की सत्ता से लेकर नगर निगम तक आम आदमी पार्टी कब्जा जमा चुकी है. आगे का रास्ता बीजेपी के लिए मुश्किल बनता जा रहा है. खासकर इस वजह से, क्योंकि पिछले दो दशकों में बीजेपी दिल्ली में एक भी नया चेहरा स्थापित करने में सफल नहीं रही है. दिल्ली की सत्ता में वापसी के लिए उसने प्रयोग तमाम किए, लेकिन सफलता अब तक नहीं मिली है.
साल 1993 में मदनलाल खुराना की अगुवाई में बीजेपी अपने दम पर ही दिल्ली में सरकार बनाने में सफल रही थी, लेकिन 1998 में बेदखल होने से बाद आज तक सत्ता का वनवास ही झेल रही है. अभी तक दिल्ली पर अपने कब्जे का दावा वो देश के सबसे बड़े नगर निगम पर अपनी सत्ता बताकर किया करती थी, लेकिन एमसीडी चुनाव के बाद पार्टी वहां से भी बेदखल हो गई.
दिल्ली विधानसभा का गठन होने के बाद राजधानी में पहली सरकार बीजेपी की ही बनी, लेकिन पांच साल में उसे तीन बार मुख्यमंत्री बदलने पड़े. मदनलाल खुराना से लेकर साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज तक यहां सीएम रहीं, लेकिन 1998 में पार्टी चुनाव हारी तो आजतक उसकी वापसी नहीं हो सकी है. पहले 15 साल तक दिल्ली पर राज करने वाली शीला दीक्षित से मुकाबला करने के लिए पार्टी एक भी दमदार नेता नहीं तलाश सकी. इसके बाद अन्ना आंदोलन से निकलकर आम आदमी पार्टी का गठन करने वाले केजरीवाल के सामने भी बीजेपी का कोई नेता नहीं खड़ा हो सका.
पहले सतीश उपाध्याय, फिर किरण बेदी के चेहरे पर चुनाव
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के टक्कर के लिए बीजेपी ने पहले सतीश उपाध्याय को प्रदेश अध्यक्ष बनाया, लेकिन पार्टी की सारी कोशिशें धरी की धरी रह गईं. 2015 का विधानसभा चुनाव बीजेपी ने अन्ना आंदोलन से सियासत में आई किरण बेदी के चेहरे पर लड़ा, लेकिन वे केजरीवाल का सामना नहीं कर सकीं. बीजेपी ने किरण बेदी के जरिए पंजाबी वोटरों को साधने का दांव चला था, लेकिन आम आदमी पार्टी के आगे उसे सफलता नहीं मिल सकी.
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