
अब नहीं चलेगा खिलाड़ियों का 'अपनी मर्जी से खेलना', गंभीर-अगरकर लाएंगे सख्त टीम कल्चर
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भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ 5 टेस्ट की सीरीज 2-2 से ड्रॉ की, जो एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. अब गंभीर और चयन समिति के प्रमुख अजीत अगरकर टीम में ऐसा माहौल बनाना चाहते हैं, जिसमें किसी खिलाड़ी को बाकी से ज्यादा अहमियत न मिले.
गौतम गंभीर हमेशा से भारतीय क्रिकेट में 'मेगा स्टार' संस्कृति के खिलाफ रहे हैं. अब इंग्लैंड दौरे पर तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज के लगातार शानदार प्रदर्शन ने उन्हें बतौर मुख्य कोच एक मजबूत संदेश देने का मौका दे दिया है- टीम में सब बराबर हैं, कोई बड़ा नाम खेल से ऊपर नहीं.
भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ 5 टेस्ट की सीरीज 2-2 से ड्रॉ की, जो एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. अब गंभीर और चयन समिति के प्रमुख अजीत अगरकर टीम में ऐसा माहौल बनाना चाहते हैं, जिसमें किसी खिलाड़ी को बाकी से ज्यादा अहमियत न मिले.
सूत्रों के मुताबिक, चयन समिति, गंभीर और भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) के वरिष्ठ अधिकारी इस बात पर एकमत हैं कि अब वर्कलोड मैनेजमेंट के नाम पर खिलाड़ियों को अपनी मर्जी से मैच और सीरीज चुनने की आजादी नहीं दी जाएगी.
बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई से कहा, 'इस पर बात हो चुकी है और सभी सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट वाले खिलाड़ियों को यह साफ कर दिया गया है, खासकर उन्हें जो तीनों फॉर्मेट खेलते हैं, कि अब अपनी मर्जी से मैच चुनने वाला कल्चर नहीं चलेगा.'
उन्होंने साथ ही यह भी जोड़ा, 'इसका मतलब ये नहीं कि वर्कलोड मैनेजमेंट को नजरअंदाज किया जाएगा. तेज गेंदबाजों के लिए यह जरूरी है, लेकिन इसकी आड़ में अहम मुकाबलों से दूर नहीं रह सकते.'
... कोई भी खिलाड़ी टीम से बड़ा नहीं

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