अब गुजरात सरकार ने अदालत में कहा, धार्मिक स्वतंत्रता में धर्मांतरण का अधिकार शामिल नहीं
The Wire
सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका के जवाब में गुजरात सरकार द्वारा पेश हलफ़नामे में यह कहा गया है. इससे पहले बीते माह केंद्र सरकार ने भी इसी मामले में एक हलफ़नामा दायर करते हुए शीर्ष अदालत से यही बात कही थी. केंद्र ने कहा था कि इस तरह की प्रथाओं पर क़ाबू पाने वाले क़ानून समाज के कमज़ोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक हैं.
नई दिल्ली: गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार में दूसरों का धर्मांतरण कराने का अधिकार शामिल नहीं है. सरकार ने शीर्ष अदालत से राज्य के एक कानून के प्रावधान पर हाईकोर्ट के स्थगन को रद्द करने का अनुरोध किया है.
इस कानून के तहत विवाह के माध्यम से धर्मांतरण के लिए जिला मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुमति आवश्यक है.
गुजरात हाईकोर्ट ने 19 अगस्त और 26 अगस्त 2021 के अपने आदेशों के माध्यम से राज्य सरकार के धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2003 की धारा 5 के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी.
वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका के जवाब में दाखिल अपने हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा कि उसने एक आवेदन दाखिल कर हाईकोर्ट के स्थगन को खारिज करने का अनुरोध किया है, ताकि गुजरात में जबरन, प्रलोभन या धोखाधड़ी के माध्यम से धर्मांतरण पर रोक लगाने के प्रावधानों को लागू किया जा सके.